सुप्रीम कोर्ट ने प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया से यहां नवनिर्मित पार्लियामेंट हाउस का उद्घाटन कराने के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
जस्टिस जे. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिंह की अवकाशकालीन पीठ ने अधिवक्ता सी आर जया सुकिन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई करने से इनकार के बाद याचिकाकर्ता ने पीठ की सहमति के बाद अपनी याचिका वापस ले ली।
पीठ ने हालांकि, याचिकाकर्ता से पूछा कि पार्लियामेंट बिल्डिंग के उद्घाटन में उनकी भूमिका कैसी थी।
याचिकाकर्ता ने प्रेजिडेंट की भूमिका महत्वपूर्ण बताने वाली दलीलें देते हुए कहा कि वह (राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू) हेड ऑफ़ पार्लियामेंट हैं।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि लोकसभा सचिवालय ने नए पार्लियामेंट हाउस के उद्घाटन के लिए प्रेजिडेंट को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।
फर्स्ट सिटीजन ऑफ़ इंडिया
याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रेजिडेंट फर्स्ट सिटीजन ऑफ़ इंडिया ( भारत के पहले नागरिक ) और हेड ऑफ़ पार्लियामेंट हैं। पार्लियामेंट में प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया (भारत के राष्ट्रपति) और सुप्रीम लेजिस्लेचर (सर्वोच्च विधायिका ) के दो सदन - राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है, 'देश के बारे में सभी महत्वपूर्ण निर्णय इंडियन प्रेजिडेंट के नाम पर लिए जाते हैं, हालांकि, इनमें से अधिकांश भारतीय संविधान के आर्टिकल 74 के अनुसार मंत्रिपरिषद (सीओएम) द्वारा दी गई सलाह पर लिए हैं।' याचिकाकर्ता सुकिन ने कहा, 'लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी किया गया बयान और नए पार्लियामेंट हाउस के उद्घाटन के बारे में लोकसभा महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण रिकॉर्डों के उचित अध्ययन के बिना और बिना सोच विचार के मनमाने ढंग से जारी किया गया है।'
गौरतलब है कि नवनिर्मित पार्लियामेंट हाउस का उद्घाटन संडे (28 मई ) को प्राइम मिनिस्टर नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।