केंद्रिय गृहमंत्रालय ने चरमपंथी आतंकी संगठन पीएफआई पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया हैं। पीएफआई के दफ्तरों पर कई दिनों से एजेंसिया व राज्य प्रशासन छापेमारी कर रहा है। पीएफआई मुस्लिम शासन की वकालत करता हैं। वह देश को शरिया कानून व संवेदनशील मुद्दों को धर्म से जोड़कर दंगे की आग में झोकना चाहता हैं। पीएफआई प्रतिबंधित सिमी का स्वरूप हैं। पीएफआई में सम्मलित व्यक्ति कभी सिमी के सदस्य थे। गृहमंत्रालय ने एजेंसियों को आतंकी गतिविधियों के मिले सबूत के आधार पर पीएफआई पर पांच साल के बैन कर दिया हैं।
पीएफआई व उससे जुड़े नौ संगठनों पर बैन
गृहमंत्रालय ने पीएफआई के साथ उससे जु़ड़े नौ संगठनों पर बैन लगाया हैं। पीएफआई ने केंद्रिय एजेंसियों से अपने कृत्य को छिपाने के लिए अलग -अलग संगठन बना लिए थे। ताकि एजेंसिया उलझकर रह जाए, लेकिन सरकार ने समय की नजाकत को देखते हुए आतंक का प्रसार करने वाले संगठन पीएफआई पर बैन लगा दिया हैं , पीएफआई गृहमंत्रालय के निर्णय को अदालत में चुनौती दे सकता हैं, गृहमंत्रालय को बैन की प्रक्रिया से संबंधित अधिसूचना को एक न्यायधिकरण को भेजा जाएगा। जो इसकी वैधता पर विचार करेंंगा। सरकार को इन जैसे सभी संगठनों से अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि संविधान की आड़ में यह सगठम अपनी मान्यता व कृत्य को छिपाते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े करेंगा।
गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा ३ के तहत लगाया प्रतिबंध
पीएफआई व उससे जुड़े संगठनों पर केंद्रिय गृहमंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की धारा 3 के तहत प्रतिबंध लगाया हैं। केंद्र सरकार को यूएपीए की धारा 4 के तहत 30 दिनों के भीतर यह अधिसूचना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम न्यायाधिकरण को भेजना अनिवार्य है। इसमें उन सभी मामलों का विवरण होगा, जो एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने पीएफआई और उसके नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशभर में दर्ज किए हैं।
गृहमंत्रालय न्यायाधिकरण को दे सकता हैं विस्तृत रिपोर्ट
गृहमंत्रालय अपनी रिपोर्ट न्यायाधिकरण के सामने विस्तृत रूप से भी पेश कर सकता हैं, इस रिपोर्ट में पीएफआई व उससे जुड़े संगठनों किस प्रकार देश में भय का वातावरण उत्पन्न कर रहे थे। इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट दी जाएगी। रिपोर्ट में वे सभी एजेंसिया अपने सबूत पेश करेंगी जो उन्होनें इसके खिलाफ इक्ठठे किए हैं।
पीएफआई व उससे जुड़े नौ संगठनों पर बैन
गृहमंत्रालय ने पीएफआई के साथ उससे जु़ड़े नौ संगठनों पर बैन लगाया हैं। पीएफआई ने केंद्रिय एजेंसियों से अपने कृत्य को छिपाने के लिए अलग -अलग संगठन बना लिए थे। ताकि एजेंसिया उलझकर रह जाए, लेकिन सरकार ने समय की नजाकत को देखते हुए आतंक का प्रसार करने वाले संगठन पीएफआई पर बैन लगा दिया हैं , पीएफआई गृहमंत्रालय के निर्णय को अदालत में चुनौती दे सकता हैं, गृहमंत्रालय को बैन की प्रक्रिया से संबंधित अधिसूचना को एक न्यायधिकरण को भेजा जाएगा। जो इसकी वैधता पर विचार करेंंगा। सरकार को इन जैसे सभी संगठनों से अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि संविधान की आड़ में यह सगठम अपनी मान्यता व कृत्य को छिपाते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े करेंगा।
गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा ३ के तहत लगाया प्रतिबंध
पीएफआई व उससे जुड़े संगठनों पर केंद्रिय गृहमंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून की धारा 3 के तहत प्रतिबंध लगाया हैं। केंद्र सरकार को यूएपीए की धारा 4 के तहत 30 दिनों के भीतर यह अधिसूचना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम न्यायाधिकरण को भेजना अनिवार्य है। इसमें उन सभी मामलों का विवरण होगा, जो एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने पीएफआई और उसके नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ देशभर में दर्ज किए हैं।
गृहमंत्रालय न्यायाधिकरण को दे सकता हैं विस्तृत रिपोर्ट
गृहमंत्रालय अपनी रिपोर्ट न्यायाधिकरण के सामने विस्तृत रूप से भी पेश कर सकता हैं, इस रिपोर्ट में पीएफआई व उससे जुड़े संगठनों किस प्रकार देश में भय का वातावरण उत्पन्न कर रहे थे। इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट दी जाएगी। रिपोर्ट में वे सभी एजेंसिया अपने सबूत पेश करेंगी जो उन्होनें इसके खिलाफ इक्ठठे किए हैं।
न्यायाधिकरण पीएफआई को जारी करेंगा नोटिस
पीएफआई पर बैन के बाद अदालत की चौखट में जाना जरूरी हैं , क्योंकि बौखलाया पीएफआई अदालत का सहारा लेकर कृत्य खेलना चाहता हैं । न्यााधिकरण पीएफआई पर लगे बैन को मान्यता तभी देगा, जब न्यायाधिकरण के सामने जांच करने वाली एजेंसी आतंक से संबधित बैन लगाने के लायक पर्याप्त सबूत पेश करेंगी। इस प्रक्रिया न्यायाधिकरण पीएफआई के नोटिस जारी इस बारे में जवाब तलब करेंगा ।
आपको बता दे की प्रतिबंधित सिमी आंतकी संगठन का स्वरूप ही पीएफआई हैं । सुरक्षा एजेंसिया कई दिनों से लगातार पीएफआई व उससे जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं । इस संगठन के विदेशों से आतंकी फंडिग व मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ बनाकर आतंकी बनाने का कार्य किया जाता था । पूर्व दिनों में बिहार के सीमांचल में पीएफआई पर कड़ी कार्रवाई की गयी थी । पीएफआई की हिट लिस्ट में आऱएसएस व भाजपा नेता थे । जिनकी पीएफआई के आतंकी हत्या करना चाहते थे ।
