भोपाल : प्रदेश में ई-वेस्ट प्रबंधन के लिये विशेषज्ञों, शिक्षण संस्थाओं, गैर सरकारी एवं प्रशासनिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की राज्यस्तरीय सलाहकार समिति गठित की जायेगी। समिति समय-समय पर प्रदेश में ई-वेस्ट प्रबंधन के लिये मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शासन को सलाह देगी। प्रमुख सचिव एवं बोर्ड के अध्यक्ष अनुपम राजन ने यह जानकारी आज एप्को में बोर्ड द्वारा ई-वेस्ट प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में दी।
उन्होंने कहा कि हमें अभी से ही ई-वेस्ट प्रबंधन की चिंता करनी होगी ताकि शहर को होने वाली चुनौतियों का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि अत्यधिक जनसंख्या होने के कारण भारत विश्व के 5 प्रमुख ई-वेस्ट उत्पादक देशों में शामिल है।
कम्प्यूटर उपकरणों से लगभग 70 प्रतिशत, दूरसंचार उपकरणों से 12, चिकित्सा उपकरणों से 8 और अन्य विद्युत उपकरणों से लगभग 7 प्रतिशत तथा शासकीय, निजी क्षेत्र की प्रमुख निजी कम्पनियों से 75 और घरेलू उपयोग से लगभग 16 प्रतिशत ई-वेस्ट उत्पन्न होता है।
देश में मुम्बई सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक शहर है। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रदेश में पॉलिथिन कैरी-बैग प्रतिबंध और देश एवं प्रदेश के विभिन्न नियम-अधिनियम की जानकारी दी तथा कहा कि प्रदेश में यदि कोई कैरी बैग बनाता हुआ मिले, तो उसकी सूचना तत्काल बोर्ड को दें, ताकि उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सके। उन्होंने बताया कि प्रदेश में प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध है, पैकेजिंग सामग्री पर नहीं।
यदि सामान चारों तरफ से सील है, तो कैरी बैग की श्रेणी में नहीं आयेगा। वहीं बोर्ड के पूर्व निदेशक डॉ. डीडी वासु ने देश में ई-वेस्ट संबंधित कानून और नियमों की जानकारी, विशेषज्ञ अमित जैन ने देश में ई-वेस्ट प्रबंधन की स्थिति और प्रदेश की ई-वेस्ट रि-साइक्लीनिंग इकाई के प्रमुख डॉ. फजल हुसैन ने पर्यावरण मित्र ई-वेस्ट प्रबंधन के लिये उपलब्ध तकनीक और एचके शर्मा ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अंतर्गत प्लास्टिक उत्पादक और ब्रॉण्ड ओनर्स पर लागू ईपीआर के संबंध में जानकारी दी।
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