प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को लेकर शुक्रवार को आश्वस्त किया कि पहले भी उतार चढ़व आयें और देश हर बार पहले से भी मजबूत हो कर निकला है। इसलिए इस बार भी भारत नयी मजबूती एवं नयी ताकत के साथ बाहर आएगा और तेजी से आगे बढ़गा। प्रधानमंत्री मोदी ने उद्योग जगत को भरोसा दिलाया कि पुरानी कमजोरियों पर काबू पा लिया गया है और अब वे खुलकर फैसले लें, खर्च करें और उत्पादन तथा रोजगार बढ़ाकर 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायें।
उन्होंने विज्ञान भवन में वाणिज्य एवं उद्योग संगठन (एसोचैम) के 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर आजकल जो चर्चा हो रही है, उन सारी बातों से वह भलीभांति परिचित हैं। जो भी कहा जाता है, उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की बजाय हर बात से अच्छाई को चुन कर उसके सहारे आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन चर्चाओं के बीच यदि वे लोग याद करें कि एक समय एक तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.5 प्रतिशत तक चली गयी थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 9.4, कोर मुद्रास्फीति 7.3, थोक मूल्य सूचकांक 5.2 और राजकोषीय घाटा 5.6 प्रतिशत के स्तर पर चला गया था। जीडीपी के तमाम मानक उस स्तर पर चले गए थे और उस समय की सरकार मूकदर्शक बनी देख रही थी।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की अर्थव्यवस्था में उतार चढ़व पहले भी आए हैं, लेकिन देश में वह सामर्थ्य है कि वह हर बार ऐसी परिस्थिति से बाहर निकला है और पहले से ज्यादा मजबूत होकर निकला है। इसलिए अभी की परिस्थिति से भी भारत बाहर निकलेगा और नयी मजबूती एवं नयी ताकत से आगे बढ़गा।’’
मोदी ने कहा,‘‘भविष्य के लिए इरादे साफ हैं और हौसले बुलंद हैं। इस सरकार की पहचान ही है कि जो संकल्प लेती है, उस संकल्प के साथ देश को जोड़ती है और उस संकल्प को सिद्धि में बदलने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करती है। इसीलिए मैं कहता हूं कि 50 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य भी संभव है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि संकल्प से सिद्धि के पारदर्शी माहौल में उद्योग जगत के लिए अवसरों का विस्तार हुआ है। कृषि से लेकर कंपनियों तक उत्पादन एवं कारोबार की संभावनाएं बेहतर हुईं हैं। उद्योग जगत द्वारा समृद्धि एवं रोजगार सृजन के लिए भी बहुत बेहतर अवसर हैं। उन्होंने कहा देश के उद्यमी आगे बढ़। वे सक्षम एवं समर्थ हैं। उनमें पूरी दुनिया को टक्कर देने का मुद्दा है। भारत उनके साथ खड़ा है। भारत को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में उन्हें बहुत बड़ी भूमिका निभानी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आज देश की बैंकिंग से जुड़े लोगों और कॉरपोरेट जगत के लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि अब पुरानी कमजोरियों पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। इसलिए खुलकर फैसले लें, खुलकर निवेश करें, खुलकर खर्च करें।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी बातें जो पहले असंभव लगती थी, उसे देश ने संभव करके दिखाया है। बैंकिंग प्रणाली मजबूत हो गयी है। तेरह बैंक मुनाफे में आ गए हैं और छह बैंक घाटे से बाहर आ गए हैं।
बैंकों का एकीकरण तेज किया गया है। बैंक देशव्यापी नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं और वैश्विक पहुंच को भी प्रभावी बनाने में जुट गए हैं। बैंकों के कामकाज में सरकार की दखलंदाजी को बंद कर दिया गया है। पारदर्शी प्रणाली से काबिल लोगों की नियुक्ति की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज हम ये कह सकते हैं कि देश की बैंकिंग प्रणाली की नींव अब इतनी पारदर्शी हो रही है कि 50 खरब डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को ऊर्जा दे सकते हैं।
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आज हम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए दुनिया के शीर्ष 10 पंसदीदा स्थलों में से एक हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत में एफडीआई आने की गति बढ़ी है और भारत में कुल एफडीआई का 50 प्रतिशत बीते पांच वर्षों में आया है। उन्होंने कहा,‘‘आने वाले दिनों में हम आधारभूत ढांचा क्षेत्र में सौ लाख करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। ग्रामीण क्षेत्र में हम 25 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने वाले हैं।
हर घर में नल से शुद्ध जल पहुंचाने के लिए करीब साढ़ तीन लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।’’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समूचे देश में नवान्वेषण एवं उद्यमिता को लेकर एक नया उत्साह है। वैश्विक निवेशक भारत की ओर एक नयी आशा एवं विश्वास की नजर से देख रहे हैं। भारत की क्षमता के प्रति दुनिया में एक अभूतपूर्व विश्वास देखा जा रहा है।