प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। सम्मेलन के 82वें संस्करण का आयोजन 17-18 नवम्बर, 2021 को शिमला में किया जा रहा है। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित रहे।
अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की संघीय व्यवस्था में जब ‘‘सबका प्रयास’’ की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमिका उसका बड़ा आधार होती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें आने वाले वर्षों में देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है व असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं। ये संकल्प ‘सबके प्रयास’ से ही पूरे होंगे।’’
उन्होंने कोविड महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में राज्यों की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘सबके प्रयास’’ के बगैर इस लड़ाई के खिलाफ जीत हासिल करना मुश्किल था। उन्होंने कहा कि आज भारत कोविड-19 रोधी टीकों की 110 करोड़ खुराक अपने देशवासियों को दे चुका है।
जो कभी असंभव लगता था, वह आज संभव हो रहा है
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘जो कभी असंभव लगता था, वह आज संभव हो रहा है। इसलिए हमारे सामने भविष्य के जो सपने हैं, संकल्प हैं, वह भी पूरे होंगे। यह, देश और राज्यों के एकजुट प्रयासों से ही पूरे होने वाले हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह समय अपनी सफलताओं को आगे बढ़ाने का है, और जो रह गया है उसे पूरा करने का है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक नई सोच और नई दृष्टि के साथ हमें भविष्य के लिए नई नीतियां और नियम भी बनाने हैं। सदन की परम्पराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों, हमारी नीतियां, हमारे कानूनों में भारतीयता के भाव को, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाली हों, तथा सबसे महत्वपूर्ण बात़़.... , सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो।’’
अगले 25 वर्ष, भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे कानूनों में व्यापकता तभी आएगी जब उनका जनता के हितों में सीधा जुड़ाव होगा। इसके लिए सदन में सार्थक चर्चा और परिचर्चा बहुत जरूरी है। सदन में युवा सदस्यों को, आकांक्षी क्षेत्रों से आने वाले जनप्रतिनिधियों को, महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका मिलना चाहिए। अगले 25 वर्ष, भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें हम एक ही मंत्र को चरितार्थ कर सकते हैं क्या - कर्तव्य, कर्तव्य, कर्तव्य।