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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा के पास सैनिकों के साथ मनाई दिवाली

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने दिवाली सियाचिन में जवानों के साथ मनाई थी। वर्ष 2015 में वह पर पंजाब सीमा पर गये थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन सीमा के पास बर्फीले पहाड़ों पर सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) के जवानों के साथ बुधवार को दिवाली मनाई। मोदी ने जवानों से कहा कि दूर-दराज के इलाकों में बर्फीले पहाड़ों पर ड्यूटी करने की उनकी लगन राष्ट्र की ताकत को और मजबूत बनाती है।

हर्षिल छावनी क्षेत्र में जवानों को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अपनी प्रतिबद्धता और अनुशासन के जरिये 125 करोड़ भारतीयों के सपने एवं भविष्य को सुरक्षित करते हैं और लोगों में सुरक्षा और निडरता का भाव पैदा करने में मदद करते हैं।

मोदी ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में सैनिकों से कहा, ”आप हमारी जमीन के केवल एक कोने की रक्षा नहीं कर रहे हैं। देश की सरहदों की सुरक्षा करके, आप 125 करोड़ भारतीयों के सपनों और जिंदगियों की सुरक्षा कर रहे हैं।” जवानों और दिवाली के दौरान जलने वाले दीयों की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया को रोशनी देने के लिये जिस तरह दीया स्वयं को जलाता है उसी तरह आप भी देश की सुरक्षा करने के लिये अपने जीवन का बलिदान देते हैं।’’

बलों के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अपने करियर की शुरुआत में सैनिकों के साथ समय बिताने का मौका मिला और वह उनकी जरूरतों को लेकर संवेदनशील हैं। उन्होंने पूर्व सैनिकों के लिए लंबे समय से अटके ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू करने को रक्षाकर्मियों के साथ उनके लंबे जुड़ाव का नतीजा बताया।

मोदी ने कहा, ”आरएसएस सदस्य के रूप में, मुझे सेना के जवानों के बीच रहने का मौका मिला। उस समय, मैंने ‘वन रैंक, वन रेंशन’ के बारे में बहुत सुना था। कई सरकारें आईं और चली गईं। चूंकि मैं आपसे जुड़ा रहा था, मैंने आपकी भावनाओं को समझा। इसलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद, आपके सपने को पूरा करना मेरी जिम्मेदारी थी।”

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प्रधानमंत्री ने कहा, ”भले ही इसे लागू करने के लिए 12 हजार करोड़ रुपये की बड़ी राशि की जरूरत थी, इसे पूरा किया गया। आज मैं खुश हूं कि 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के तहत खर्च हो चुके हैं।” उन्होंने आईटीबीपी के जवानों के साथ सालों पहले हुई बातचीत का भी जिक्र किया जब वह कैलाश मानसरोवर यात्रा का हिस्सा बने थे।

मोदी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में भारत अच्छी प्रगति कर रहा है। मोदी ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षा मिशनों में दुनिया भर से प्रशंसा और सराहना हासिल की है। अपने संबोधन के बाद, प्रधानमंत्री ने जवानों को मिठाई बांटी। वह सीमावर्ती गांव बागोरी के लोगों से भी मिले और उन्होंने हर्षिल में गंगा की सहायक नदी भागीरथी के तट पर पूजा अर्चना की। मोदी हर्षिल में करीब सवा घंटा रूके। यह एक छावनी इलाका है जो उत्तरकाशी जिले में भारत-चीन सीमा के करीब 7,860 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने केदारनाथ जाकर पूजा अर्चना की और केदारपुरी में चल रही पुनर्निर्माण परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। शीतकाल के लिये कपाट बंद होने से दो दिन पूर्व मंदिर पहुंचे प्रधानमंत्री ने वहां करीब दो घंटे बिताये। उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में करीब 10—15 मिनट गुजारे और इस दौरान भगवान शिव का रूद्राभिषेक किया। केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीर्थ पुरोहित प्रवीण तिवारी ने मंदिर में पूजा संपन्न करायी।

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह भी इस दौरान प्रधानमंत्री के साथ मौजूद थे। गर्भगृह से बाहर आने के बाद मोदी ने मंदिर की परिक्रमा की और पिछले कुछ दिनों में धाम में हुई हिमपात से खूबसूरत दिखायी दे रहे नजारे का भी दीदार किया।

प्रधानमंत्री ने मंदिर प्रांगण में लगायी गयी केदारनाथ की तस्वीरों का भी अवलोकन किया जिसमें वर्ष 2013 में आयी प्रलयंकारी भीषण आपदा से उजड गये केदारनाथ क्षेत्र के पुनर्निर्माण की यात्रा को दर्शाया गया था। केदारनाथ के समीप स्थित केदारपुरी ने 2013 की प्रलयकारी बाढ़ का दंश झेला था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि मोदी ने पूरे मंदिर परिसर का दौरा किया जहां पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें कार्य की प्रगति से अवगत कराया।

मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग ‘आस्था पथ’ के दोनों ओर खडे़ श्रद्धालुओं तथा स्थानीय लोगों का भी प्रधानमंत्री ने हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया और उन्हें दिवाली की शुभकामनायें भी दीं। प्रधानमंत्री इससे पहले अक्टूबर 2017 में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने से ठीक पहले भगवान के दर्शन के लिए आए थे।

बता दें कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने दिवाली सियाचिन में जवानों के साथ मनाई थी। वर्ष 2015 में वह दिवाली पर पंजाब सीमा पर गये थे। इसके अगले वर्ष मोदी हिमाचल प्रदेश गये थे जहां उन्होंने आईटीबीपी पुलिस के जवानों के साथ एक सुरक्षा चौकी पर समय बिताया था। मोदी ने पिछले साल प्रधानमंत्री के रूप में अपनी चौथी दिवाली जम्मू कश्मीर के गुरेज में सैनिकों के साथ मनाई थी।

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