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PM मोदी ने विशेष लक्षणों वाली फसलों की 35 किस्मों का किया लोकार्पण , कुपोषण पर होगा प्रहार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित विशेष लक्षणों वाली फसलों की 35 किस्मों का मंगलवार को लोकार्पण किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित विशेष लक्षणों वाली फसलों की 35 किस्मों का मंगलवार को लोकार्पण किया। 
फसल की इन किस्मों को आईसीएआर के सभी संस्थानों, प्रत्येक राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समूचे देश को समर्पित किया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के मुताबिक, 2021 में, जलवायु की विपरीत स्थितियों से निपटने की क्षमता और उच्च पोषक तत्वों जैसे विशेष लक्षणों वाली फसल की 35 किस्में विकसित की गईं। 
इनमें चना की सूखा सहिष्णु किस्म, मुरझाने और बांझपन एवं रोगाणु से होने वाली बीमारी (मोजेक) प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं की जैविक मजबूत किस्में, बाजरा, मक्का और चना, क्विन्वा, कूटू, विंग्ड बीन और फैबा बीन शामिल हैं। 
इन विशेष लक्षण वाली फसल किस्मों में वे तत्व भी शामिल हैं जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कुछ फसलों में पाए जाने वाले पोषण-विरोधी कारकों को दूर करते हैं। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं और प्रधानमंत्री का लक्ष्य इन किसानों की आय बढ़ाना है। 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है कि किसानों को दूसरों की करुणा पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद के बल पर उठना चाहिए। इस उद्देश्य से उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री-किसान जैसी कई योजनाएं और किसान रेल के माध्यम से परिवहन सुविधाएं शुरू की गई हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय जैविक तनाव सहिष्णुता संस्थान, रायपुर के नवनिर्मित परिसर के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान राज्य में कृषि को बढ़ावा देगा। 
उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में चिंता का कारण है। हम अपने क्षेत्र में इसका प्रभाव देख रहे हैं। दो कारण हैं – एक प्राकृतिक है और दूसरा मिट्टी में कार्बन में कमी है।” उन्होंने देश में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का पता लगाने के लिए व्यापक अध्ययन कराने पर जोर दिया। 
कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य, पशु एवं कुक्कुट पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह मौजूद थे।

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