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पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ के कार्यक्रम में गुरु गोविंद और बाघों की आबादी समेत कई मुद्दों का किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्र को संबोधित किया। यह प्रधानमंत्री के मासिक रेडियो कार्यक्रम और वर्ष 2020 के आखिरी मन की बात का 72 वां संस्करण है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्र को संबोधित किया। यह प्रधानमंत्री के मासिक रेडियो कार्यक्रम और वर्ष 2020 के आखिरी मन की बात का 72 वां संस्करण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कोरोना के कारण आपूर्ति श्रृंखला दुनिया भर में बाधित हो गई लेकिन हमने प्रत्येक संकट से नए सबक सीखे। राष्ट्र ने नई क्षमताओं को भी विकसित किया। 
नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में गुरु गोविंद जी के पुत्रों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान को याद किया। उन्होंने साहिबजादों के कम उम्र में साहस दिखाने की सराहना करते हुए कहा कि पुरानी सभ्यता और संस्कृति बचाने के लिए देश में बड़े-बड़े बलिदान दिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ के दौरान कहा, हमारे देश में अत्याचारियों से देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है। 
आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा, लेकिन हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन फिर भी वो टस से मस नहीं हुए।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने शेरों और बाघों की आबादी के साथ-साथ वन आच्छादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। मुख्य कारण यह है कि न केवल सरकार बल्कि कई अन्य लोग, नागरिक समाज और अन्य संगठन वन और वन्यजीव बातचीत में योगदान दे रहे हैं।  प्रधानमंत्री मोदी ने जब मैं भारत के युवाओं को देखता हूं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। मुझे ऐसा लगता है क्योंकि मेरे देश के युवाओं के पास ‘कैन डू’ दृष्टिकोण है और ‘विल डू’ की भावना है। उनके लिए कोई चुनौती बहुत बड़ी नहीं है। उनकी पहुंच से बाहर कुछ भी नहीं है। 
मई महीने में कश्मीरी केसर को मिले जीआई टैग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर का केसर बहुत विशिष्ट है और दूसरे देशों के केसर से बिलकुल अलग है। कश्मीर के केसर को जीआई टैग से एक अलग पहचान मिली है। इसके जरिए हम कश्मीरी केसर को एक वैश्विक लोकप्रिय ब्रांड बनाना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि केसर जम्मू और कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है और यह सदियों से कश्मीर से जुड़ा हुआ है जो मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। 
जीआई टैग उन उत्पादों को मिलता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। जीआई टैग मिलना उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशिष्टता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह अत्यंत सुगन्धित होता है, इसका रंग गाढ़ा होता है और इसके धागे लंबे व मोटे होते हैं। यह इसकी औषधीय गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।’’ प्रधानमंत्री ने बताया कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग की पहचान मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्केट में इसे लांच किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा।’’ मोदी ने कहा कि केसर के किसानों को इससे विशेष रूप से लाभ होगा। उन्होंने पुलवामा में त्राल के शार इलाके के रहने वाले अब्दुल मजीद वानी का उदाहरण दिया। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाणी अपने जीआई टैग मिले केसर को केसर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएस) की मदद से पाम्पोर के व्यापार केंद्र में ई-व्यापार के जरिए बेच रहे हैं और उनके जैसे कई लोग कश्मीर में यह काम कर रहे हैं। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे अगली बार जब भी केसर खरीदने का मन बनाएं तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें। मोदी ने कहा, ‘‘कश्मीरी लोगों की गर्मजोशी ऐसी है कि वहां के केसर का स्वाद ही अलग होता है और पाम्पोर इलाका केसर की खेती के लिए विख्यात है।’’ 
मोदी ने कहा कि हर नए साल में देशवासी कोई न कोई संकल्प लेते हैं और इस बार भारत में बने उत्पादों का इस्तेमाल करने का संकल्प लें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं देशवासियों से आग्रह करूंगा कि दिनभर इस्तेमाल होने वाली चीजों की आप एक सूची बनाएं। उन सभी चीजों की विवेचना करें और यह देखें कि अनजाने में कौन सी विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है तथा एक प्रकार से हमें बंदी बना दिया है। भारत में बने इनके विकल्पों का पता करें और यह भी तय करें कि आगे से भारत में बने, भारत के लोगों के पसीने से बने उत्पादों का हम इस्तेमाल करें।’’ 
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में लोगों ने मजबूत कदम आगे बढ़ाया है और निर्माताओं तथा उद्योग जगत कक लिए ‘‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट’’ की सोच के साथ काम करने का उचित समय है। उन्होंने कहा, ‘‘वोकल फॉर लोकल आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हों। जो भी विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, वो हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यमी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप को भी आगे आना है।” उन्होंने ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ की भावना को बनाए रखने, बचाए रखने और बढ़ाते ही रहने का देशवासियों से आह्वान किया।

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