प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को श्री राम मंदिर का शिलान्यास किया। अयोध्या पहुंचे प्रधानमंत्री ने सबसे पहले हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमान जी की पूजा-अर्चना की और फिर राम जन्मभूमि क्षेत्र पहुंचकर राम लला को दंडवत प्रणाम किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने पारिजात का पौधा भी लगाया।
इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। पारंपरिक धोती-कुर्ता पहने मोदी को हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी ने एक पटका भेंट किया। मंदिर में कुछ देर पूजा-अर्चना करने के बाद मोदी राम जन्मभूमि क्षेत्र के लिए रवाना हो गए। राम जन्मभूमि पहुंचकर प्रधानमंत्री ने भगवान राम को दंडवत प्रणाम किया और वहां पारिजात का पौधा लगाया।
पारिजात पौधे का धार्मिक महत्त्व
राम जन्मभूमि पूजन में धार्मिक महत्व के कारण दिव्य पारिजात के पौधे को हिस्सा बनाया गया। हिन्दू धर्म के धार्मिक कर्मकांडों में इस पौधे का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल अत्यंत प्रिय हैं। पूजा-पाठ के दौरान मां लक्ष्मी को ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं।
एक मान्यता ये भी है कि 14 साल के वनवास के दौरान सीता माता हरसिंगार के फूलों से ही अपना श्रृंगार करती थीं। आज से हजारों वर्ष पूर्व द्वापर युग में स्वर्ग से देवी सत्यभामा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा धरती पर लाए गए पारिजात वृक्ष की कथा प्रचलित है। यह देव वृक्ष समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था।
14 रत्नों में यह एक विशिष्ट रत्न रहा है। हरिवंश पुराण में पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है। मान्यता है कि स्वर्गलोक में इसको स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ उर्वशी नाम की अप्सरा को था। इस वृक्ष के स्पर्श मात्र से ही उर्वशी की सारी थकान मिट जाती थी। आज भी लोग मानते हैं कि इसकी छाया में बैठने से सारी थकावट दूर हो जाती है।