पेट्रोल है तो हम है ऐसा इसिलए क्योंकि अधिकतर गाड़ियां पेट्रोल से ही चलती हैं। भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तेलों की कीमत आसमान छू रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दुनिया की प्रमुख बड़ी तेल एवं गैस कंपनियों के सीईओ के साथ बुधवार को बैठक शुरू हो चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में ईंधन की कीमतों को नीचे लाने को लेकर कोई ठोस समाधान निकलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक के बारे में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव तरुण कपूर ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के साथ राउंडटेबल बैठक में हर ऑयल एवं एनर्जी कंपनी के सीईओ को बोलने के लिए 3 मिनट का वक्त दिया जाएगा। उसके बाद प्रधानमंत्री अपने विचार रखेंगे।
इन कंपनियों के CEO हुए शामिल
प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक में रूस की रोजनेफ्ट के चेयरमैन और सीईओ डॉ. आइगोर सेचिन, सऊदी अरब की सऊदी अरामको के प्रेसिडें और सीईओ अमीन नासिर, ब्रिटेन की ब्रिटिश पेट्रोलियम के सीईओ बर्नार्ड लूनी, अमेरिका की श्लमबर्जर लिमिटेड के सीईओ ओलिवर ली पेच, यूओपी की हनीवैल के प्रेसिड और सीईओ ब्रायन ग्लोवर, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी मुकेश अंबानी एवं वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल अन्य लोगों के साथ मौजूद हैं।
महंगे पेट्रोल-डीजल पर निकलेगा समाधान?
बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कपूर ने कहा कि इस बातचीत में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने को लेकर संवाद होगा। क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बेहताशा रूप से बढ़ रही है और अब एक सीमा के बाहर चली गई हैं।
उन्होंने कहा कि तेल उत्पादन करने वाले देशों को इस विषय पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए. हम तेल की कीमतों के अचानक से नीचे जाने का समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन कच्चा तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों को ये समझने की जरूरत है कि ईंधन की इतनी ऊंची कीमतें भी उचित नहीं हैं।
तय हो सकती है कीमतों की लिमिट
सचिव तरुण कपूर ने संभावना जताई की बैठक में तेल की कीमतों पर कैप लगाने (लिमिट तय) के लिए कोई व्यवस्था बन सकती है। साथ ही कहा कि सरकार इस बात की जरूरत पर भी गौर कर रही है कि क्या किसी और प्राइस इंडेक्स के आधार पर तेल की खरीद की जा सकती है। अगर कीमतों में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव रहता है तो क्या भारत मे अन्य स्रोतों से तेल का आयात किया जा सकता है। कीमतों में ये अस्थिरता लंबे समय तक नहीं रहने वाली है और ये सामान्य हो जाएगी। मांग और आपूर्ति के बीच बहुत ज्यादा अंतर नहीं है।
साल 2016 में हुई थी शुरुआत
ग्लोबल तेल कंपनियों के सीईओ और इस सेक्टर के एक्सपर्ट्स के साथ पीएम मोदी की यह इस तरह की छठी सालाना बातचीत होगी। इस तरह के संवाद की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इस बार बैठक के दौरान तेल एवं गैस क्षेत्र के प्रमुख मसलों, सहयोग के संभवित क्षेत्रों सहयोग के संभवित क्षेत्रों और भारत में निवेश के बारे में भी बातचीत होगी।