प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एससीओ शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने कहा कि इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह ख़ुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूं। मैं तीनों नए डायलॉग partners – साऊदी अरब, Egypt और क़तर – का भी स्वागत करता हूं।
उन्होंने कहा कि SCO की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनोतियां शांति, सुरक्षा और trust-डेफिसिट से संबंधित है। उन्होंने आगे कहा कि और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरता है। अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र उदारवादी और विकासशील संस्कृतियां और मूल्य का गढ़ रहा है। सूफ़ीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं। इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी मध्यम, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं। एसीओ को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इस सन्दर्भ में मैं SCO के RATS mechanism द्वारा किये जा रहे उपयोगी कार्य की प्रशंसा करता हूं। उन्होंने कहा कि चाहे वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए UPI और Rupay Card जैसी तकनीक हों, या कोविड से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और कोविन जैसे डिजिटल प्लैटफॉर्म्स इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि land locked central एशियाई देशों को भारत के विशाल बाज़ार से जुड़ कर अपार लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी की कोई भी पहल वन-वे स्ट्रीट नहीं हो सकती। आपसी विश्वास सुनिश्चित करने के लिए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को पारदर्शी और सहभागी होना चाहिए। इनमें सभी देशों की टेरीटोरियल इंटीग्रिटी का सम्मान निहित होना चाहिए।
एससीओ परिषद के सदस्य देशों के प्रमुखों की 21वीं बैठक शुक्रवार को हाइब्रिड प्रारूप में दुशांबे में आरंभ हुई। इसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने के लिये दुशांबे में हैं। एससीओ की इस बैठक में अफगानिस्तान संकट, क्षेत्रीय सुरक्षा, सहयोग एवं सम्पर्क सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी।
पहली बार एससीओ की शिखर बैठक हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित की जा रही है और यह चौथी शिखर बैठक है जिसमें भारत एससीओ के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में हिस्सा ले रहा है। हाईब्रिड प्रारूप के तहत आयोजन के कुछ हिस्से को डिजिटल आधार पर और शेष हिस्से को आमंत्रित सदस्यों की प्रत्यक्ष उपस्थिति के माध्यम से संपन्न किया जाता है। इस बैठक का महत्व इसलिये भी बढ़ जाता है क्योंकि संगठन इस वर्ष अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है। उल्लेखनीय है कि एससीओ की स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी और भारत 2017 में इसका पूर्णकालिक सदस्य बना ।