प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में सेहत योजना लांच करने के दौरान यहां हुए पंचायत चुनावों की चर्चा करते हुए कांग्रेस पर संकेतों में निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कुछ लोग सुबह-शाम उन्हें लोकतंत्र का पाठ पढ़ाते हैं। ये वही लोग हैं, जिनकी सरकार ने पुदुचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत चुनाव नहीं होने दिया। जबकि यूटी बनने के साल भर में ही जम्मू-कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के चुनाव हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बीते दिनों कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देश में काल्पनिक लोकतंत्र होने की बात कही थी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लोकतंत्र को लेकर उठाए सवाल पर पलटवार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधन के दौरान जम्मू-कश्मीर में हुए जिला विकास परिषद चुनावों को लेकर कहा, "इन चुनावों ने दिखाया है कि देश में लोकतंत्र कितना मजबूत है। लेकिन मैं आज देश के सामने एक और पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। जम्मू-कश्मीर ने तो यूटी बनने के एक साल के भीतर त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के चुनाव करवा दिए और लोगों को उनका हक दिया।"
उन्होंने कहा कि अब यही चुने हुए लोग जम्मू-कश्मीर के गांवो, जिलों का भाग्य तय करेंगे। लेकिन दिल्ली में कुछ लोग सुबह-शाम आए दिन मोदी को कोसते रहते हैं, टोकते रहते हैं, अपशब्दों का प्रयोग करते हैं, लोकतंत्र सिखाने के लिए पाठ पढ़ाते रहते हैं।" प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर ने कम समय में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को स्वीकार कर काम आगे बढ़ाया, वहीं पुडूचेरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पंचायत और म्यूनिसिपल इलेक्शन नहीं हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जो लोग लोकतंत्र के पाठ पढ़ाते हैं, उनकी पार्टी वहां राज कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ही चुनाव के लिए आदेश दिया था। वहां की सरकार इस मामले को लगातार टाल रही है। पुडूचेरी में दशकों से इंतजार के बाद 2006 में लोकल बाडी चुनाव हुए थे। जो चुने गए उनका कार्यकाल 2011 में ही खत्म हो गया था।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, "इससे राजनीतिक दलों की कथनी और करनी का फर्क पता चलता है। केंद्र सरकार यह लगातार कोशिश कर रही है कि गांव के विकास में गांव के लोगों की भूमिका सबसे ज्यादा रहे। प्लानिंग से लेकर अमल तक पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाओं को ज्यादा ताकत दी जा रही है।