विश्वभर में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हर देश के तरफ से तमाम कोशिशें की जा रही है ताकि इस महामारी को नियंत्रण में लाया जा सके। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोपकार कार्य से जुड़े बिल गेट्स से कोरोना को लेकर चर्चा की। इस दौरान दोनों के बीच गुरुवार को कोविड-19 को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया और महामारी से निपटने के लिए वैज्ञानिक नवाचार और अनुसंधान में वैश्विक समन्वय के महत्व पर बातचीत की।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह अध्यक्ष बिल गेट्स ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि वैश्विक प्रयासों में योगदान करने की भारत की इच्छा और क्षमता को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि महामारी को लेकर प्रतिक्रिया के समन्वय के लिए वैश्विक चर्चा में नयी दिल्ली को शामिल किया जाए। मोदी ने स्वास्थ्य संकट के खिलाफ लड़ाई में भारत द्वारा अपनाए गए सचेत दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया।
Had an extensive interaction with @BillGates. We discussed issues ranging from India’s efforts to fight Coronavirus, work of the @gatesfoundation in battling COVID-19, role of technology, innovation and producing a vaccine to cure the pandemic. https://t.co/UlxEq72i3L
— Narendra Modi (@narendramodi) May 14, 2020
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि ”बिल गेट्स के साथ विस्तार से बातचीत की। हमने कोरोना वायरस से लड़ने में भारत के प्रयास से लेकर, कोविड-19 से निपटने में गेट्स फाउंडेशन के काम, प्रौद्योगिकी, नवाचार की भूमिका और बीमारी के इलाज के लिए टीके के उत्पादन तक के मुद्दों पर चर्चा की। ”
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सरकारी बयान में कहा गया कि भारत का दृष्टिकोण उचित संदेश के माध्यम से लोगों को शामिल करने पर आधारित है।मोदी ने बताया कि कैसे जन केंद्रित दृष्टिकोण ने भौतिक दूरी को स्वीकार करने, अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे कर्मियों के लिए सम्मान, मास्क लगाना, उचित स्वच्छता रखना और लॉकडाउन के प्रावधानों का आदर कराने में मदद की। मोदी ने गेट्स फाउंडेशन द्वारा भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में किए जा रहे स्वास्थ्य संबंधी कार्यों की सराहना की, जिसमें कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक प्रतिक्रिया का समन्वय शामिल है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार की पिछली विकास संबंधी कुछ पहल जैसे कि वित्तीय समावेशन का विस्तार, स्वास्थ्य सेवाओं की अंतिम पायदान तक आपूर्ति को मजबूत करना, स्वच्छता को लोकप्रिय बनाना, लोगों की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए भारत के आयुर्वेदिक ज्ञान के इस्तेमाल ने महामारी के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद की।