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PM मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- सीएए विरोध प्रदर्शनों से देश जान गया है, देश के लिए कौन खड़ा है कौन नहीं

उन्होंने कहा कि नेहरू ने समझौते से एक साल पहले असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि आपको हिंदू शरणार्थियों और मुस्लिम प्रवासियों के बीच फर्क करना होगा और इन शरणार्थियों की जिम्मेदारी देश को लेनी होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान सीएए को लेकर सभी विपक्षी दलों पर जमकर बरसे। प्रधानमंत्री ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर हो रहे प्रदर्शनों से देश ने देख लिया कि ‘‘दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है।’’ प्रधानमंत्री ने सीएए को लेकर यह भी स्पष्ट किया कि सीएए से हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 
उन्होंने लोकसभा में यह भी कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के संबंध में जो कहा था, हम वही काम कर रहे हैं और कांग्रेस जिस रास्ते पर चल पड़ी है वह उन्हें और देश को मुसीबत में डालने वाला है। कांग्रेस और उसके जैसे दलों ने जिस दिन भारत को भारत की नजर से देखना शुरू कर दिया तो उन्हें गलती का एहसास होगा। 
संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर निचले सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि जिस नागरिकता संशोधन कानून को संसद पारित कर चुकी है और अधिसूचित हो चुका है, उसके बारे में अब लोग कह रहे हैं कि सरकार भेदभाव कर रही है, हिंदू-मुस्लिमों को बांट रही है।
 
उन्होंने सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग और देशभर में होने वाले प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय बार-बार कह चुका है कि ऐसे आंदोलन नहीं हों जो आम आदमी को तकलीफ पहुंचाएं, हिंसा के रास्ते पर चलें। उन्होंने प्रदर्शनों के लिए विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘‘ये ही वामपंथी, कांग्रेस और वोट-बैंक की राजनीति करने वाले लोग वहां जाकर लोगों को उकसा रहे हैं।’’ 
मोदी ने कहा कि उन्हें देखकर मुझे एक शायर का शेर याद आता है। इसके बाद उन्होंने दाग दहलवी का शेर पढ़ा- ‘‘खूब पर्दा है, कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जनता सब जानती है कि जिस तरह के बयान दिये गये, सदन में उनका जिक्र करना ठीक नहीं। पिछले दिनों जैसी भाषा रही और सदन के बड़े-बड़े नेता प्रदर्शन में पहुंचे। अफसोस है।’’ 
उन्होंने कहा कि सरकार पर देश के टुकड़े करने का आरोप लगाकर जनता में काल्पनिक भय पैदा करने का काम वो लोग कर रहे हैं जो ‘देश के टुकड़े-टुकड़े’ की बात करने वालों के साथ खड़े होते हैं, फोटो खिंचवाते हैं। यही भाषा पाकिस्तान की है। दशकों तक पाकिस्तान ने भारत के मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया है और यही भाषा बोली है।’’ 
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा, ‘‘लेकिन अब उनकी चल नहीं रही। मैं हैरान हूं कि जिन्हें जनता ने सत्ता से घर भेज दिया, वो ऐसा काम कर रहे हैं जो देश कभी सोच नहीं सकता।’’ उन्होंने नेहरू पर नाम लिये बिना परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि किसी को प्रधानमंत्री बनना था, इसलिए देश का बंटवारा कर दिया गया और लकीर खींच दी गयी उसके बाद से जिस तरह से पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर जुल्म और जबरदस्ती हुई, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती। 
मोदी ने तत्कालीन कांग्रेस नेता भूपेंद्र कुमार दत्त और पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्र दास मंडल का जिक्र करते हुए कहा कि इन्हें भी वहां अत्याचारों के बाद पाकिस्तान से अंतत: भारत लौटना पड़ा और उन्होंने अंतिम सांस देश की धरती पर ली। 
उन्होंने विपक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा सरकार के इस दावे पर आपत्ति उठाये जाने का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि सीएए से महात्मा गांधी का सपना पूरा हुआ है। मोदी ने कहा कि इस बारे में वह राष्ट्रपिता के बयान को कई बार बता चुके हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तो दशकों पहले गांधी जी की बातों को छोड़ दिया था। गांधीजी ने जो कहा था, उनका उद्धरण उपलब्ध है। 
उन्होंने कहा कि हमें याद दिलाया जा रहा है कि ‘भारत छोड़ो’ का नारा सबसे पहले मुसलमानों ने दिया था। कांग्रेस की नजर में वे सिर्फ मुस्लिम रहे, हमारी नजर में भारतीय थे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सौभाग्य है कि लड़कपन में मुझे खान अब्दुल गफ्फार खान के पैर छूने का अवसर मिला।’’ मोदी ने कहा कि सीएए पर कांग्रेस और उनके ‘‘इको-सिस्टम’’ के वह आभारी हैं क्योंकि वे अगर इस पर विरोध नहीं करते तो देश को उनका असली रूप पता नहीं चलता। 
उन्होंने कहा, ‘‘देश ने देख लिया, दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है।’’ 
प्रधानमंत्री ने नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि उसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं होने की बात को आधार बनाया गया था जिसकी बात हम कर रहे हैं। कांग्रेस को अब जवाब देना होगा कि नेहरू जैसे दूरदृष्टा, महान विचारक ने तब ‘सारे नागरिक’ शब्द का इस्तेमाल क्यों नहीं किया। तब इतनी उदारता उन्होंने क्यों नहीं दिखाई। 
मोदी ने कहा, ‘‘नेहरूजी ने वही कहा था जो आज हम कह रहे हैं। आप (कांग्रेस) नहीं बोलेंगे कि नेहरूजी ने अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल क्यों किया।’’ उन्होंने कहा कि नेहरू ने समझौते से एक साल पहले असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि आपको हिंदू शरणार्थियों और मुस्लिम प्रवासियों के बीच फर्क करना होगा और इन शरणार्थियों की जिम्मेदारी देश को लेनी होगी। मोदी ने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री ने संसद में भी नागरिकता चाहने वाले लोगों के लिए कानून में बदलाव की बात कही थी। 
उन्होंने भाजपा और राजग सरकार पर सीएए के संदर्भ में लग रहे विभाजनकारी होने के आरोपों पर कहा, ‘‘कांग्रेस से मेरा सवाल है कि क्या पंडित नेहरू सांप्रदायिक थे। क्या वह हिंदू-मुस्लिम में भेद करते थे। क्या वह हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे।’’ मोदी ने कहा, ‘‘मैं संविधान के प्रति समर्पण और सम्मान के साथ, देश के 130 करोड़ लोगों के प्रति जिम्मेदारी के साथ फिर से स्पष्ट करना चाहूंगा कि सीएए से हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं होने वाला। चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो या अन्य किसी भी धर्म के हों।’’ 
मोदी ने कहा कि क्या अल्पसंख्यकों के लिए दो तराजू होंगे। कांग्रेस ने इतने सालों तक राज किया। जिम्मेदार विपक्ष के नाते उनसे अपेक्षाएं हैं। वो गलत रास्ते पर चल पड़े हैं, जो उन्हें और देश को मुसीबत में डाल सकता है। यह चेतावनी मैं इसलिए दे रहा हूं क्योकि हमें देश की चिंता हैं। 

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