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जैन आचार्य सुरिश्वर जी महाराज की जयंती पर पीएम मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का किया अनावरण

पीएम मोदी ने कहा कि “भारत का इतिहास आप देखें तो आप महसूस करेंगे, जब भी भारत को आंतरिक प्रकाश की जरूरत हुई है, संत परंपरा से कोई न कोई सूर्य उदय हुआ है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को जैन आचार्य विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती समारोह के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का अनावरण किया। 151 इंच ऊंची, यह प्रतिमा अष्टधातु यानी 8 धातुओं से बनाई गई है, जिसमें तांबा प्रमुख घटक है। इसे राजस्थान के पाली में विजय वल्लभ साधना केंद्र, जैतपुरा में स्थापित किया जा रहा है।
भारत ने हमेशा विश्व को शांति, अहिंसा और बंधुत्व का मार्ग दिखाया
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा पूरे विश्व को, मानवता को, शांति, अहिंसा और बंधुत्व का मार्ग दिखाया है। ये वो संदेश हैं जिनकी प्रेरणा विश्व को भारत से मिलती है। इसी मार्गदर्शन के लिए दुनिया आज एक बार फिर भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि “मेरा सौभाग्य है कि मुझे देश ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ के लोकार्पण का अवसर दिया था, और आज जैनाचार्य विजय वल्लभ जी की भी ‘स्टेचू ऑफ पीस’ के अनावरण का सौभाग्य मुझे मिल रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि “भारत का इतिहास आप देखें तो आप महसूस करेंगे, जब भी भारत को आंतरिक प्रकाश की जरूरत हुई है, संत परंपरा से कोई न कोई सूर्य उदय हुआ है। कोई न कोई बड़ा संत हर कालखंड में हमारे देश में रहा है, जिसने उस कालखंड को देखते हुए समाज को दिशा दी है।आचार्य विजय वल्लभ जी ऐसे ही संत थे।” 
उन्होंने कहा कि “आचार्य विजयवल्लभ जी ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान शुरू किया था। उन्होंने पंजाब, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में भारतीय संस्कारों वाले बहुत से शिक्षण संस्थाओं की आधारशिला रखी।” उन्होंने कहा कि ‘आचार्य विजयवल्लभ जी का जीवन हर जीव के लिए दया, करुणा और प्रेम से ओत-प्रोत था। उनके आशीर्वाद से आज जीवदया के लिए पक्षी हॉस्पिटल और अनेक गौशालाएं देश में चल रहीं हैं। ये कोई सामान्य संस्थान नहीं हैं। ये भारत की भावना के अनुष्ठान हैं। ये भारत और भारतीय मूल्यों की पहचान हैं।”
बता दें कि विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज (1870-1954) ने एक जैन संत के रूप में सादगीपूर्ण जीवन जीते हुए निस्वार्थ और समर्पण भाव से भगवान महावीर के संदेश को जन-जन तक ले जाने का काम किया। उन्होंने जनता के कल्याण और शिक्षा के प्रसार में अहम योगदान दिया। सामाजिक बुराइयों के खात्मे के लिए भी उन्होंने अथक परिश्रम किया।
आचार्य वल्लभ महाराजा ने कविता, निबंध, भक्ति भजन भी लिखे और आजादी के आंदोलन और स्वदेशी के उद्देश्य को सक्रिय समर्थन दिया। उनकी प्रेरणा से, कई राज्यों में कॉलेजों, स्कूलों और अध्ययन केंद्रों सहित 50 से अधिक शिक्षण संस्थान संचालित हैं। उनके सम्मान में अनावरण की जाने वाली प्रतिमा को ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का नाम दिया गया है।

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