प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 फरवरी, 2020 को बोडो समझौते को लेकर कोकराझार में होने वाले समारोह में शिरकत करेंगे। इस मौके पर मोदी बोडो समझौते के बारे में लोगों को संबोधित करेंगे। समझौते पर 27 जनवरी, 2020 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे। कोकराझार में प्रधानमंत्री के स्वागत की बड़ी तैयारियां की गई हैं।
गत दिसम्बर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने के बाद से यह प्रधानमंत्री का पहला पूर्वोत्तर दौरा होगा। प्रदर्शनों में तीन व्यक्ति मारे गए थे।
उन्होंने एक ट्वीट किया, ‘‘कल मैं असम में दौरे को लेकर उत्सुक हूं। मैं एक जनसभा को संबोधित करने के लिए कोकराझार में रहूंगा। हम बोडो समझौते पर सफलतापूर्वक हस्ताक्षर किये जाने का जश्न मनाएंगे जिससे दशकों की समस्या का अंत होगा। यह शांति और प्रगति के नये युग की शुरूआत का प्रतीक होगा।’’
बोडो समझौते पर हस्ताक्षर 27 जनवरी को सरकार द्वारा नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के चार धड़ों, आल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और एक नागरिक समाज समूह के साथ किया गया था। इसका उद्देश्य असम के बोडो बहुल क्षेत्रों में दीर्घकालिक शांति लाना है।
प्रधानमंत्री ने हाल के एक ट्वीट में हस्ताक्षर वाले दिन को ‘‘भारत का एक बहुत खास दिन बताया था’’ और कहा था कि यह बोडो लोगों के लिए परिवर्तनकारी परिणाम लाएगा।
समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिनों में एनडीएफबी के विभिन्न धड़ों के 1615 से अधिक सदस्यों ने अपने हथियार सौंप दिये थे और मुख्यधारा में शामिल हो गए थे।
मोदी ने अपने नवीनतम रेडियो संबोधन कार्यक्रम ‘मन की बात’ में अपील की थी कि जो भी हिंसा के मार्ग पर हैं वे मुख्यधारा में लौट आयें और अपने हथियार डाल दें।
मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच एक शिखर बैठक गत दिसम्बर में गुवाहाटी में होनी थी लेकिन सीएए विरोधी प्रदर्शनों के चलते उसे रद्द कर दिया गया था।
मोदी को हाल में गुवाहाटी में सम्पन्न ‘खेलो इंडिया’ खेलों के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन वह उसमें शामिल नहीं हुए।