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एक साथ चुनाव कराने पर विचार करने के लिए समिति गठित करेंगे प्रधानमंत्री : सरकार

देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विषय पर बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर निश्चित समय-सीमा में सुझाव देने के लिए प्रधानमंत्री एक समिति गठित करेंगे।

देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विषय पर बुधवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर निश्चित समय-सीमा में सुझाव देने के लिए प्रधानमंत्री एक समिति गठित करेंगे। 
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों की एक बैठक बुलाई थी और इसमें 40 दलों को आमंत्रित किया गया था। लेकिन 21 पार्टियां ही बैठक में शामिल हुई, जबकि तीन ने लिखित में इस विषय पर अपना विचार साझा किया। 
सिंह ने बैठक के बाद कहा कि ज्यादातर पार्टियों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का समर्थन किया। सिंह ने बैठक का संचालन भी किया। वहीं, भाकपा और माकपा ने थोड़ी बहुत मत-भिन्नता जाहिर की। उनका कहना था कि यह कैसे होगा, हालांकि उन्होंने एक राष्ट्र, एक चुनाव का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया। 
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री एक समिति (कमेटी) गठित करेंगे जो समयबद्ध तरीके से सभी हित धारकों के साथ चर्चा करेगी।’’ 
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, द्रमुक, तेदेपा और तृणमूल कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं हुई। 
वहीं, बैठक से दूर रहने वाले प्रमुख नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, द्रमुक के एम. के. स्टालिन, टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल शामिल हैं। 
हालांकि, टीआरएस का प्रतिनिधित्व उसके कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामा राव ने किया। सूत्रों के मुताबिक समिति राजनीतिक स्वरूप की होगी और उसमें विभिन्न दलों के नेता शामिल होंगे। 
सिंह ने कहा कि मोदी ने बैठक में स्पष्ट कर दिया है कि एक साथ चुनाव कराना सरकार का एजेंडा नहीं है बल्कि यह राष्ट्र का एजेंडा है। 
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने इस बैठक में यह भी निर्णय किया कि एक समिति का गठन किया जाएगा जो निर्धारित सीमा में सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर अपनी रिपोर्ट देगी। प्रधानमंत्री जी समिति बनाएंगे और फिर इसका ब्योरा जारी किया जाएगा।’’ 
उन्होंने मोदी को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों से कहा कि यदि मत भिन्नता है तो उसका स्वागत है। 
प्रधानमंत्री मोदी ने कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बैठक में उन सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था जिनके लोकसभा या राज्यसभा में कम से कम एक सदस्य हैं। इन मुद्दों में एक राष्ट्र-एक चुनाव, 2022 में आजादी के 75वें वर्ष पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम, गांधी जी की 150वीं जयंती भी शामिल हैं। 
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संसद में कामकाज बढ़ाने पर सभी राजनीतिक दलों में आम सहमति बनी। यह भी कहा गया है कि संसद में संवाद और वार्तालाप का माहौल बने रहना चाहिए।’’ 
उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी की शिक्षाओं से अवगत होना चाहिए। 
सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान, आरपीआई अध्यक्ष रामदास अठावले और अपना दल (एस) अध्यक्ष आशीष पटेल भी शामिल हुए। 
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना का स्थापना दिवस होने के कारण उद्धव ठाकरे इसमें शामिल नहीं हो सके। बैठक में शामिल हुए गैर राजग दलों में बीजद के अध्यक्ष नवीन पटनायक, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नेशनल कान्फ्रेंस अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी थे। 
गौरतलब है कि मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया था कि यदि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर चर्चा होगी तो वह भी सर्वदलीय बैठक में शामिल होंगी। 
सूत्रों के मुताबिक माकपा, भाकपा और एआईएमआईएम ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विरोध किया और कहा कि इससे देश के संघीय ढांचे को नुकसान होगा। 
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के केंद्र सरकार के विचार को असंवैधानिक तथा संघीय व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि यह देश में संसदीय प्रणाली की जगह पिछले दरवाजे से राष्ट्रपति शासन लाने की कोशिश है। 
सूत्रों ने बताया कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सरकार को इस बारे में सभी पक्षों से बात करनी चाहिए और यह बताना चाहिए कि इसे कैसे लागू किया जाएगा। 
बैठक के बाद शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव पर प्रधानमंत्री जी का एजेंडा जनमत तैयार करने का है, थोपने का नहीं है।’’ 
लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया। एक या दो लोगों ने विरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस पर सभी से बात की जाएगी। 
अपना दल (एस) के अध्यक्ष आशीष पटेल ने देश में एकसाथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस विचार के अमल में आने के बाद में देश में बहुत सकारात्मक बदलाव होगा। 
इस बीच, भुवनेश्वर से मिली खबर के मुताबिक ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का पूर्ण समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि बार-बार चुनाव कराने से विकास की गति प्रभावित होती है और ‘‘सहयोगी संघवाद की भावना को भी नुकसान पहुंचता है।’’ 
मुंबई से प्राप्त खबर के मुताबिक कांग्रेस की मुम्बई इकाई के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराने के विचार का बुधवार को समर्थन करते हुए दिखाई दिए और उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की बात कही। 
उन्होंने कहा कि निरंतर चुनाव की मुद्रा में रहना सुशासन में अवरोधक है और वास्तविक मुद्दों से नेताओं का ध्यान भटकता है। 

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