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सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मराठा आरक्षण पर HC के फैसले की प्रशंसा की

पार्टी लाइन से ऊपर उठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं ने राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को वैध ठहराने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले की बृहस्पतिवार को प्रशंसा की।

मुम्बई : पार्टी लाइन से ऊपर उठकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत सत्तापक्ष और विपक्ष के नेताओं ने राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को वैध ठहराने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले की बृहस्पतिवार को प्रशंसा की। 
बंबई उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा लेकिन उसने कहा कि आरक्षण का प्रतिशत 16 से घटाकर 12 से 13 प्रतिशत किया जाना चाहिए। 
सत्तारूढ़ भाजपा शिवसेना गठबंधन के नेताओं ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया तथा फडणवीस एवं उद्धव ठाकरे की प्रशंसा की। उधर, विपक्षी कांग्रेस-राकांपा ने कहा कि इसका श्रेय मराठाओं को जाता है, न कि भगवा गठबंधन को। 
विधानसभा में फडणवीस ने कहा कि यह खुशी की बात है कि उच्च न्यायालय ने मराठाओं को आरक्षण देने के उनकी सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। उन्होंने इस विषय पर सरकार का समर्थन करने पर राजनीतिक दलों और मराठा संगठनों को धन्यवाद दिया। 
उन्होंने कहा कि विधानमंडल से पारित इस आरक्षण कानून को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी, उस पर लंबे समय तक सुनवाई चली। आखिरकार न्यायालय ने मराठा आरक्षण कानून बनाने की विधानमंडल की विधायी सक्षमता को बरकरार रखा। 
राजस्व मंत्री और भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अदालत ने मान लिया है कि मराठा समुदाय पिछड़ा है। अदालत ने पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। वह इस बात पर राजी हो गयी है कि असामान्य मामलों में आरक्षण 50 फीसदी के पार जा सकता है।’’ 
वित्त मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुंगंटीवार ने भी उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम खुश हैं कि आरक्षण की वैधता अदालत की परीक्षा में खरी उतरी। सरकार ने सभी चीजों का अध्ययन करने के बाद इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा था।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का रूख है कि आरक्षण 16 फीसदी होना चाहिए। अतएव सरकार आदेश का अध्ययन करेगी और फिर उसके हिसाब से अगला कदम उठाएगी।’’ 
पर्यावरण मंत्री एवं शिवसेना नेता रामदास कदम ने मुंगटीवार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘‘ पिछली (कांग्रेस-राकांपा गठबंधन) सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण न्यायपालिका की परीक्षा में खरा नहीं उतरा। लेकिन, हमारी सरकार ने जो आरक्षण दिया, उसकी वैधता पर उच्च न्यायालय ने मुहर लगा दी है। हम बहुत खुश हैं।’’ 
आवास मंत्री और भाजपा नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, ‘‘ यह ऐतिहासिक फैसला है। अदालत का फैसला उन लोगों के लिए श्रद्धांजलि है जिन्होंने आरक्षण की मांग को लेकर अपनी जान दी।’’ 
विधानसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के विजय वादेत्तिवार ने कहा, ‘‘ हम उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन किसी को भी उसका श्रेय लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए। असली श्रेय मराठा समुदाय के उन युवकों को जाता है जो आरक्षण की मांग करते हुए सड़कों पर उतरे थे।’’ 
विधान परिषद में विपक्ष के नेता कांग्रेस के धनंजय मुंडे ने भी कहा कि अदालत का फैसला मराठाओं की एकता का नतीजा है। 
विधानसभा में शिवसेना, राकांपा, सपा और कांग्रेस के नेताओं ने उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर सरकार को बधाई दी। 
उधर, बंबई उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद न्यायालय परिसर में लोगों ने ‘जय मराठा, एक मराठा लाख मराठा’ का नारा लगाया। उन्होंने एक दूसरे से गले मिलकर और हाथ मिलाकर बधाई दी। खुशी के इस माहौल ने कई मराठा कार्यकर्ताओं ने भगवा झंडे लहराए जिन पर छत्रपति शिवाजी की तस्वीर थी। नारेबाजी और झंडा लहराये जाने पर रोक के चलते पुलिस अधिकारी ने उनसे परिसर से बाहर जाने को कहा। 
अदालत के बाहर समर्थकों ने कहा कि वैसे तो वे इस फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन वे आरक्षण की सीमा 16 फीसदी के बजाय 12-13 फीसदी करने के अदालत के निर्देश से संतुष्ट नहीं हैं। 

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