श्योपुर : श्योपुर शहर से होकर गुजरने वाली सीप नदी के अस्तित्व को बचाने जिले में ना ही प्रशासन के कारिन्दों का और ना ही जनप्रतिनिधियों का ध्यान, यही कारण है कि विशाल नदी धीरे-धीरे नाले के स्वरूप में परिवर्तित होती जा रही हैइसे विडंबना ही कहेंगे कि जिस सीप नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने का जिला प्रशासन ने एक साल पहले निर्णय लिया था, उस निर्णय पर अमल तो दूर विचार तक नहीं हुआ है।
यही वजह है कि सीप का दामन आज भी दागदार बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन जिला कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटिल की अध्यक्षता में गत 29 अप्रैल 2014 को नगर पालिका सभाकक्ष में एक बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रशासन ने सीप को प्रदूषण मुक्त करने का निर्णय लिया था। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एच.पी. वर्मा, श्योपुर के तत्कालीन एसडीएम एस.सी. तिवारी, तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी ओ.पी. झा सहित नगरीय निकाय के पदाधिकारी, विभागीय अधिकारी, समाजसेवी, पत्रकार, स्वंयसेवी संगठनों के प्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
बैठक में तत्कालीन जिला कलेक्टर श्रीपाटिल ने कहा था कि सीप को प्रदूषण मुक्त करने में प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधि, नगरीय निकायएवं पंचायतों के पदाधिकारी, समाजसेवी, स्वयंसेवी संगठन, पत्रकार और नागरिकों का सहयोग आवश्यक है, किन्तु इस बैठक को सालभर गुजरने को है, किन्तु इस दिशा में प्रशासन की पहल एक कदम आगे नहीं बढ़ी हैं। यह बात अलग है कि सीप को प्रदूषण मुक्त करने की पहल करने वाले कलेक्टर श्री पाटिल अब यहां नहीं है,
लेकिन पूर्व प्रशासन के अच्छे कामों को आगे बढ़ाने का दायित्व वर्तमान प्रशासन का भी है,मगर न जाने क्यों वर्तमान प्रशासनिक नुमाइंदे पूर्व प्रशासन के कामोंको आगे बढ़ाने में रूचि नहीं ले रहे हैं, जिससे सीप को प्रदूषण मुक्त करने की पहल कागजों तक सीमित होकर रह गई है। नदी के किनारे हटना था अतिक्रमण ः सालभर पहले आयोजित बैठक में जिला कलेक्टर ने कहा था कि सीप नदी के किनारे अतिक्रमण को हटाने के लिए सीमांकन का कार्य तहसीलदार के माध्यम से कराया जाएगा।
साथ ही अवैध अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। लेकिन इस पर भी कोई अमल नहीं हुआ है। कदवाल, भादडी नदी से मिलकर बनी सीप नदी के दामन को दागदार करने में शहर का गंदा पानी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। इस नदी में शहर के करीब आधा दर्जन गंदे नालों का बदबूयुक्त पानी समा रहा है। यह गंदा पानी न केवल इसमें नहाने वाले लोगों में चर्म रोग की समस्या बढ़ा रहा है,
बल्कि संक्रामक बीमारियां फैलाने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। चुनाव जीतकर जनता की नुमाइंदगी करने वाले जनप्रतिनिधियों ने सीप नदी को प्रदूषणमक्त करने के लिए आज तक कोई पहल नहीं की है। आजादी के बाद तमामचुनाव हुए, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस जनहितसे जुडे मुद्दे को कभी तबज्जो नहीं दी।
शहर के नागरिकों का कहना है कि यदि जनप्रतिनिधियों में थोडीबहुत भी इच्छाशक्ति होती तो यह मुद्दा अब तक हल हो चुका होता। सीप को प्रदूषण मुक्त कराना परिषद का प्रमुख ध्येय है इसकी डीपीआर तैयार करवाई जा रही है उसके बाद टेण्डर निकालकर कार्यादेश जारी कर दिया जाएगा।
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