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विद्युत मंत्रालय का राज्यों से अनुरोध- केंद्रीय संयंत्रों की गैर आवंटित बिजली का करें इस्तेमाल

विद्युत मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों से कहा कि वे देश में कोयले की कमी के संकट के बीच अपने स्वयं के उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों (सीजीएस) की गैर आवंटित बिजली का उपयोग करें।

विद्युत मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों से कहा कि वे देश में कोयले की कमी के संकट के बीच अपने स्वयं के उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों (सीजीएस) की गैर आवंटित बिजली का उपयोग करें। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”विद्युत मंत्रालय के संज्ञान में लाया गया है कि कुछ राज्य अपने उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं और लोड शेडिंग कर रहे हैं। साथ ही, वे विद्युत एक्सचेंज में ऊंची कीमत पर बिजली बेच रहे हैं।”
सीजीएस से उत्पादित 15 प्रतिशत बिजली को ‘गैर आवंटित बिजली’ के रूप में रखा जाता है
बिजली के आवंटन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सीजीएस से उत्पादित 15 प्रतिशत बिजली को ‘गैर आवंटित बिजली’ के रूप में रखा जाता है, जिसे केंद्र सरकार उपभोक्ताओं की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरतमंद राज्यों को आवंटित करती है। मंत्रालय ने कहा कि उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी वितरण कंपनियों की है और उन्हें पहले अपने उपभोक्ताओं की सुविधा का ध्यान रखना चाहिए जिन्हें चौबीसों घंटे बिजली पाने का अधिकार है।
वितरण कंपनियों को विद्युत एक्सचेंज में बिजली नहीं बेचनी चाहिए 
बयान में कहा गया कि इस तरह, वितरण कंपनियों को विद्युत एक्सचेंज में बिजली नहीं बेचनी चाहिए और अपने स्वयं के उपभोक्ताओं को सेवाहीन नहीं छोड़ना चाहिए। वहीं विद्युत मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी और डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) को अपने-अपने बिजली खरीद समझौतों के तहत दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को बिजली की हरसंभव आपूर्ति करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली की वितरण कंपनियां को उनकी मांग के अनुसार जितनी बिजली की जरूरत होगी, उतनी बिजली मिलेगी
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उसने राज्यों द्वारा केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों की आवंटित बिजली के इस्तेमाल को लेकर 11 अक्टूबर, 2021 को दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। पिछले 10 दिनों में दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों को दी गयी घोषित क्षमता (डीसी) को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने 10 अक्टूबर, 2021 को एनटीपीसी और डीवीसी को दिल्ली को बिजली की आपूर्ति सुरक्षित करने के निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि दिल्ली की वितरण कंपनियां को उनकी मांग के अनुसार जितनी बिजली की जरूरत होगी, उतनी बिजली मिलेगी।
एनटीपीसी और डीवीसी दोनों ने दिल्ली को उतनी ही बिजली मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जतायी है
मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि एनटीपीसी और डीवीसी दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों को उनके कोयला आधारित बिजली स्टेशनों से संबंधित बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) के तहत उनके आवंटन के अनुसार मानक घोषित क्षमता (डीसी) की पेशकश कर सकती हैं। बयान के मुताबिक एनटीपीसी और डीवीसी दोनों ने दिल्ली को उतनी ही बिजली मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जतायी है जितनी दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों की मांग है।
दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों को मानक घोषित क्षमता की पेशकश
मंत्रालय ने यह भी निर्देश दिया है कि एनटीपीसी संबंधित पीपीए के तहत दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों को उनके आवंटन (गैस आधारित बिजली संयंत्रों से) के अनुसार मानक घोषित क्षमता की पेशकश कर सकती है। दिल्ली की विद्युत वितरण कंपनियों को मानक घोषित क्षमता की पेशकश करते समय एसपीओटी, एलटी-आरएलएनजी आदि सहित सभी स्रोतों से उपलब्ध गैस को शामिल किया जा सकता है।
एनटीपीसी, डीवीसी को दिल्ली के डिस्कॉम को बिजली की हरसंभव आपूर्ति करें 
इसके अलावा, मंत्रालय ने कहा कि कोयला आधारित विद्युत उत्पादन से बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए 11 अक्टूबर, 2021 को आवंटित बिजली के उपयोग के संबंध में भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। दिल्ली में बिजली की आपूर्ति की स्थिति पर एक फैक्टशीट में, मंत्रालय ने कहा कि 10 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली की अधिकतम मांग 4,536 मेगावाट (सबसे व्यस्त समय में) और 96.2 एमयू (ऊर्जा) थी।

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