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जनता के हितों की रक्षा करना जनप्रतिनिधि की पहली जिम्मेदारी : प्रणब मुखर्जी

Pranab Mukherjee, Assembly, Manmohan Singh, Supreme Court

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारतीय संसदीय व्यवस्था हम सभी के सतत् संघर्ष की परिणिति है, यह व्यवस्था न तो हमें सहजता से मिली है और ना ही ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली है। श्री मुखर्जी आज यहां विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) राजस्थान शाखा एवं लोकनीति- सीएसडीएस के संयुक्त तत्वावधान में विधायकों के लिए आयोजित एक दिवसीय सेमिनार ‘चेंजिग नेचर ऑफ पार्लियामेंट डेमोक्रेसी इन इंडिया’ को संबोधित कर रहे थे। 
उन्होंने भारतीय संविधान के अंगीकार से लेकर इसके वर्तमान स्वरूप तक हुए बदलावों पर चर्चा करते हुये कहा कि संविधान में लगातार संशोधन हुए हैं, लेकिन फिर भी हमने अब तक इसकी मूल आत्मा को जीवित रखा है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह संविधान का अभिन्न अंग है, उच्चतम न्यायालय में बहुत से महत्वपूर्ण निर्णय इस आधार पर लिये गये हैं। 

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उन्होंने गोलकनाथ, केशवानन्द भारती जैसे महत्वपूर्ण प्रकरणों की जानकारी देते हुए बताया कि किस तरीके से भारतीय संसदीय व्यवस्था में लगातार बदलाव हुए है। उन्होंने विधायकों को अनुच्छेद 368 के पुराने तथा नए स्वरूप को गहनता से अध्ययन करने के लिए कहा जिससे संविधान संशोधन की प्रकिया में हुए बदलाव की जानकारी मिल सके। श्री मुखर्जी ने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता द्वारा निर्वाचित होते है इसलिए उनकी सबसे पहली जिम्मदारी जनता के हितों की रक्षा करना है। 
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से देश के समृद्ध संसदीय लोकतंत्र का गौरव और बढ़या है। अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में श्री मुखर्जी जिस भी पद पर रहे हैं वहां उन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली की अमिट छाप छोड़ है। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा की ओर से यह आयोजन एक अच्छी शुरूआत है। इससे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को व्यक्तित्व निर्माण और संसदीय लोकतंत्र में उनकी भूमिका के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। 
उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में यह महत्वपूर्ण है कि हम सब जनप्रतिनिधि समाज और आमजन के हित में क्या योगदान देते हैं। जनकल्याण में हमारी प्रभावी भूमिका ही लोकतंत्र और देश का भविष्य निर्धारित करती है। इस अवसर पर विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी.पी। जोशी ने बताया कि राज्य एवं विधानसभा में पहली बार आयोजित यह सेमिनार 15वीं विधानसभा एवं विधानसभा के पूर्व सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। 
उन्होंने कहा कि देश में राजनीति के बदलते दौर में सदस्यों को देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाये रखने के लिए यह सेमीनार अपने दायित्व का भी बोध करायेगी। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति श्री मुखर्जी के राजनीतिक जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में श्री मुखर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि श्री मनमोहन सिंह के समय पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही थी लेकिन श्री मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए इस आर्थिक मंदी में भी भारत की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ रखा।
कार्यक्रम में विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया ने कहा कि दीर्घ राजनैतिक अनुभव रखने वाले श्री मुखर्जी के ज्ञान का हमें लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश एवं विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पार्टियों का शासन है लेकिन सबका मकसद लोकतंत्र को मजबूत बनाना है। प्रारम्भ में सीपीए के सचिव संयम लोढा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति श्री मुखर्जी हमारे गौरव हैं और इन्होंने राजनीति ही नहीं, एक पत्रकार और प्रोफेसर के रूप में भी देश की सेवा की है। उन्होंने कहा कि देश में 70 वर्ष के दौरान प्रजातंत्र में कई परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस सेमीनार का आयोजन किया, जिसमें वर्तमान सदस्यों सहित पूर्व सदस्यों को भी शामिल किया गया है।

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