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Prashant Kishor 'JanSuraaj': राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने मंगलवार को 'जन सुराज' के लिए 'विकेंद्रीकृत चंदा' प्रणाली के जरिये कम से कम 200 करोड़ रुपये जुटाने का भरोसा जताया। 'जन सुराज' के दो महीने से भी कम समय में राजनीतिक पार्टी बनने की संभावना जताई जा रही है।
बिहार में राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की बात करने वाले 'इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी' (आईपीएसी) के संस्थापक प्रशांत किशोर ने संवाददाताओं द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में अपनी इस रणनीति का खुलासा किया।
दरअसल संवाददाताओं ने उनसे पूछा कि अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने उम्मीदवार उतारने जा रही उनकी नई पार्टी के लिए संसाधन जुटाने की उनकी क्या योजना है। इस पर प्रशांत किशोर ने कहा, ''वित्त पोषण एक ऐसा सवाल है जो लंबे समय से लोगों के दिमाग में घूम रहा है। बेशक, स्थापित राजनीतिक दलों के विपरीत, हम अवैध शराब व्यापार और बालू खनन में शामिल माफिया से प्राप्त उदार चंदे पर निर्भर नहीं रह सकते। इसलिए हम विकेंद्रीकृत चंदे की प्रणाली अपनाएंगे।''
उन्होंने कहा कि जन सुराज पूरे राज्य में दो करोड़ लोगों से 100-100 रुपये की छोटी राशि का चंदा मांगेगा और विश्वास जताया कि लोग चंदा देंगे। प्रशांत किशोर ने कहा, ''हम लोगों से 100 रुपये का चंदा देने के लिए कहेंगे ताकि जब जन सुराज अगली सरकार बनाए तो भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार हो और राशन कार्ड बनवाने और जमीन के दाखिल खारिज जैसी सेवाओं के लिए रिश्वत देना अतीत की बात हो जाए।'' उन्होंने चुनाव लड़ने के इरादे से जन सुराज में शामिल होने वालों को भी आश्वस्त किया कि ''वे धन की चिंता न करें, भले ही प्रतिद्वंद्वी अथाह संसाधनों वाला व्यक्ति क्यों न हो।''
उन्होंने कहा, ''मुझे पता है कि आप में से कई लोग पैसा जुटाने के इस तरीके को लेकर संशय में होंगे। लेकिन याद रखें, समय बहुत बदल गया है। एक दशक पहले तक कुछ ही लोग सोशल मीडिया को गंभीरता से लेते थे, लेकिन आज आप इसे अपने जोखिम पर अनदेखा कर सकते हैं।'' प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, जिन्होंने कुछ महीने पहले राजद से नाता तोड़ लिया था, का अपने जन सुराज अभियान में स्वागत किया। इस अवसर पर 'पीटीआई वीडियो' से बात करते हुए यादव ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि जन सुराज में वास्तविक समाजवाद को नई जान मिलेगी। समाजवाद के आदर्श को उन लोगों ने बर्बाद कर दिया है जो समाजवाद का मुखौटा पहनते हैं, लेकिन अपने परिवार से अधिक किसी चीज की परवाह नहीं करते। यह स्थिति जातिवाद से भी बदतर है।'