लोकसभा में बृहस्पतिवार को केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षक के कॉडर में आरक्षण) विधेयक 2019 पेश किया गया । इसमें केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों की सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियों में पदों के आरक्षण और उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने का प्रावधान है ।
निचले सदन में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने ‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षकों के काडर में आरक्षण) विधेयक-2019’ पेश किया। इसके लिए पहले सरकार इसके लिए अध्यादेश भी लाई थी। यह विधेयक उस अध्यादेश के स्थान पर यह विधेयक लाया गया है।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मार्गदर्शक सिद्धांत 2006 के खंड के उपबंध :ग: और खंड 8 के उपबंध :क: में यह प्रावधान है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षक पदों में आरक्षण रोस्टर बिन्दु का अवधारण करने के लिये काडर या यूनिट का आधार विश्वविद्यालय या महाविद्यालय होना चाहिए न कि विभाग का विषय होना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि तथापि उक्त खंडों को 2016 की रिट याचिका संख्या 43260 तारीख सात अप्रैल 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था और उक्त निर्णय को उच्चतम न्यायालय द्वारा भी मान्य ठहराया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने यह आधार लिया कि आरक्षण के प्रयोजन के लिये काडरों को नहीं मिलाया जा सकता । तथापि विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में संकाय सदस्यों की सात हजार से अधिक रिक्तियों की भर्ती की प्रक्रिया पूर्णत: रूक गई थी । इस प्रकार शिक्षण प्रक्रिया और शैक्षणिक मानकों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।
इसमें कहा गया कि रिक्त पदों को भरने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए और अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो के हितों की सुरक्षा के लिये इस मामले में एक कानून की जरूरत थी । ऐसे में ‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षकों के काडर में आरक्षण) विधेयक-2019’ लाया गया।
इसमें केंद्र सरकार द्वारा स्थापित, अनुरक्षित या सहायता प्राप्त कतिपय केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो से संबंधित व्यक्तियों की सीधी भर्ती द्वारा नियुक्तियों में पदों के आरक्षण का उपबंध करने के लिये और उक्त आरक्षण को संविधान : एक सौ तीनवां: संशोधन अधिनियम 2019 की दृष्टि से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो तक बढ़ाने का उपबंध किया गया है।
विधेयक के खंड 3 में यह उपबंध किया गया है कि पदों में आरक्षण का विस्तार और रीति केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जायेगी और पदों के आरक्षण के प्रयोजन के लिये किसी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान को एकल इकाई के रूप में समझा जायेगा।
विधेयक के खंड 3 के उपबंध अनुसूचि में निर्दिष्ट उत्कृष्ट संस्थाओं, अनुसंधान संस्थाओं, राष्ट्रीय और रणनीतिक महत्व की संस्थाओं या अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं मेंलागू नहीं होंगे।