राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस एनवी रमन्ना को अगला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति रमण 24 अप्रैल 2021 को भारत के 48वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर प्रभार संभालेंगे और मौजूदा सीजेआई एस ए बोबडे की जगह लेंगे। न्यायमूर्ति बोबडे 23 अप्रैल को यह पद छोड़ेंगे। उन्होंने ही जस्टिस रमन्ना को सीजेआई बनाने की सिफारिश की थी।
26 अगस्त, 2022 को सेवानिवृत्त होने से पहले जस्टिस रमन्ना 16 महीने से अधिक समय तक सीजेआई के रूप में लंबे समय तक कार्यकाल में रहेंगे। वास्तव में यह लगभग एक दशक तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सबसे लंबा कार्यकाल होगा। दिवंगत जस्टिस एसएच कपाड़िया मई 2010 से सितंबर 2012 तक लंबे कार्यकाल वाले अंतिम न्यायाधीश थे।
अमरावती भूमि घोटाले में न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना के बारे में शिकायत के संबंध मे हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सीजेआई बोबडे को लिखा था। हालांकि रेड्डी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक इन-हाउस प्रक्रिया का पालन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमन्ना का आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 27 अगस्त 1957 को जन्म हुआ। 2 फरवरी 2017 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति मिली। उनके कार्यकाल के महज दो साल बचे हैं और वे 26 अगस्त, 2022 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। 10 फरवरी 1983 को उन्होंने अपनी वकालत शुरू की। जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल भी रहे हैं।
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले रमन्ना विज्ञान और कानून में स्नातक हैं। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में कानून की प्रैक्टिस की है। राज्य सरकारों की एजेंसियों के लिए वो पैनल काउंसिल पर भी काम कर चुके हैं। 27 जून 2000 को वे आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त हुए। साल 2013 में 13 मार्च से लेकर 20 मई तक वो आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस रहे।