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President Election 2022: यशवंत सिन्हा कहा- निर्वाचित होने पर कश्मीर में शांति, न्याय और लोकतंत्र की बहाली मेरी प्राथमिकता

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि अगर वह निर्वाचित होते हैं तो उनकी प्राथमिकताओं में कश्मीर मुद्दे का स्थायी रूप से हल करना और केंद्र शासित प्रदेश में शांति

राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि अगर वह निर्वाचित होते हैं तो उनकी प्राथमिकताओं में कश्मीर मुद्दे का स्थायी रूप से हल करना और केंद्र शासित प्रदेश में शांति, न्याय, लोकतंत्र तथा सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार से आग्रह करना शामिल रहेगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव में अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश के एक दिवसीय दौरे पर हैं। जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है। केंद्र शासित प्रदेश से पांच लोकसभा सदस्य हैं, इनमें तीन नेशनल कॉन्फ्रेंस से और दो भाजपा से हैं। आज की तारीख में जम्मू कश्मीर से राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं हैं।
प्राथमिकताओं में कश्मीर मुद्दे को स्थायी रूप से हल करने
सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर निर्वाचित होता हूं तो मैं बिना किसी डर या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में अपना कर्तव्य निभाऊंगा। मेरी प्राथमिकताओं में कश्मीर मुद्दे को स्थायी रूप से हल करने और शांति, न्याय, लोकतंत्र, सामान्य स्थिति बहाल करने तथा जम्मू कश्मीर के समग्र विकास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का सरकार से आग्रह करना शामिल रहेगा।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह बेहद खेदजनक है कि केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त किए जाने के लगभग तीन साल बाद भी उच्चतम न्यायालय ने इससे संबंधित मामले की सुनवाई शुरू नहीं की है।
 विधानसभा के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जल्द से जल्द होना चाहिए
उन्होंने कहा, ‘‘संवैधानिक मामले लंबित रहने से शीर्ष अदालत की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है।’’ साथ ही, उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए तथा विधानसभा के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जल्द से जल्द होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जम्मू कश्मीर में जबरन और हेरफेर करने वाले जनसांख्यिकीय परिवर्तन का विरोध करता हूं।’’ सिन्हा ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए स्थितियां बनाने के अपने वादे में विफल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे न केवल कश्मीरी पंडितों के लिए बल्कि उन सभी लोगों के लिए भी वादा पूरा करना चाहिए, जिन्हें कश्मीर से पलायन करने करने के लिए मजबूर किया गया था।’’
‘‘जून 2020 में एक सर्वदलीय बैठक के दौरान 
सिन्हा ने कहा, ‘‘जून 2020 में एक सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘‘दिल की दूरी’’ और ‘‘दिल्ली की दूरी’’ को हटाने का वादा किया था। दो साल से अधिक समय बीत चुका है और वादा अधूरा है।’सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर उनके मन में बहुत सम्मान है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मैं उनसे वही प्रतिज्ञा और वादे करने का आग्रह करता हूं जो मैंने किए हैं। जम्मू कश्मीर के लोग भी उनसे इस आश्वासन की उम्मीद करते हैं।’’
जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ हुए अन्याय को उजागर
सिन्हा ने कहा कि उनसे उनकी श्रीनगर यात्रा का कारण पूछा गया क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में जम्मू कश्मीर का बड़े पैमाने पर प्रतिनिधित्व नहीं है। सिन्हा ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि मैं जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ हुए अन्याय को उजागर करने के लिए श्रीनगर जा रहा हूं। मैं चाहता हूं कि शेष भारत के लोग यह जानें कि कैसे जम्मू कश्मीर में उनके हमवतन लोगों से उनके मौलिक और लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए हैं।’’

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