श्री कोविंद आज हरिद्वार के दिव्य प्रेम सेवा मिशन संस्थान में पधारे उन्होंने इस संस्था के स्वर्ण जयंती समारोह के समापन कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि भाग लिया। उन्होंने दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा उस रोगियों के सेवा के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा दिव्य प्रेम सेवा मिशन 25 वर्षों से कुष्ठ रोगियों के इलाज के साथ-साथ उनके बच्चों की शिक्षा व कौशल विकास के लिए प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि वह भी संस्था से काफी समय से जुड़ रहे हैं और उनके देखते ही देखते संस्था ने कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए कई प्रकल्प खड़ कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही कुछ लोग को एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है रहा है। दुर्भाज्ञ से आज के लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। परंतु संविधान में कुष्ठ रोग के विरुद्ध प्रावधान किए गए हैं।श्री कोविंद ने कहा कि समाज को कुछ रोगियों के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलना होगा इस प्रकार एक आम रोगी एक आम रोगी ठीक होकर सामान्य जीवन बताता है ऐसे ही कुष्ठ रोग ठीक होने के बाद भी ऐसे व्यक्ति को सामान्य दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा ने कहा भारतीय संसद ने भी अधिनियम 1916 के तहत दिव्यांगों के साथ-साथ कुष्ठ रोगियों के साथ भी भेदभाव समाप्त करने के लिए प्रावधान किया है।उन्होंने बताया कि गांधीजी भी कुछ रोगियों की सेवा में तत्पर रहते थे। उन्होंने बताया कि गांधी जी की जयंती को राष्ट्रीय कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
श्री गोविंद ने बताया कि गांधीजी कुछ लोग को एक बीमारी की तरह मानते थे और कुछ रोगियों की सेवा भी करते थे। उन्होंने कहा कि जो लोग कुछ रोगियों के साथ भेदभाव करते हैं वह मानसिक रोगी है।
राष्ट्रपति ने योगी शिवानंद का जिक्र करते हुए बताया कि हाल ही में उन्होंने 125 वर्षीय योगी शिवानंद को पदम श्री दिया है। शिवानंद भी कुष्ठ रोगियों की सेवा करते रहे हैं और वह कुष्ठ रोगियों की सेवा को ईश्वर की सेवा मानते हैं।उन्होंने उन्होंने दिव्य प्रेम सेवा मिशन के इस सेवा कार्य को और आगे बढ़ने तथा कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए मनोबल से कार्य करने के लिए इनके संचालक आशीष गौतम व संयोजक संजय चतुर्वेदी की प्रशंसा भी की।इस अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा बाबा रामदेव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही कुछ लोग को एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है रहा है। दुर्भाज्ञ से आज के लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। परंतु संविधान में कुष्ठ रोग के विरुद्ध प्रावधान किए गए हैं।श्री कोविंद ने कहा कि समाज को कुछ रोगियों के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलना होगा इस प्रकार एक आम रोगी एक आम रोगी ठीक होकर सामान्य जीवन बताता है ऐसे ही कुष्ठ रोग ठीक होने के बाद भी ऐसे व्यक्ति को सामान्य दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा ने कहा भारतीय संसद ने भी अधिनियम 1916 के तहत दिव्यांगों के साथ-साथ कुष्ठ रोगियों के साथ भी भेदभाव समाप्त करने के लिए प्रावधान किया है।उन्होंने बताया कि गांधीजी भी कुछ रोगियों की सेवा में तत्पर रहते थे। उन्होंने बताया कि गांधी जी की जयंती को राष्ट्रीय कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
श्री गोविंद ने बताया कि गांधीजी कुछ लोग को एक बीमारी की तरह मानते थे और कुछ रोगियों की सेवा भी करते थे। उन्होंने कहा कि जो लोग कुछ रोगियों के साथ भेदभाव करते हैं वह मानसिक रोगी है।
राष्ट्रपति ने योगी शिवानंद का जिक्र करते हुए बताया कि हाल ही में उन्होंने 125 वर्षीय योगी शिवानंद को पदम श्री दिया है। शिवानंद भी कुष्ठ रोगियों की सेवा करते रहे हैं और वह कुष्ठ रोगियों की सेवा को ईश्वर की सेवा मानते हैं।उन्होंने उन्होंने दिव्य प्रेम सेवा मिशन के इस सेवा कार्य को और आगे बढ़ने तथा कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए मनोबल से कार्य करने के लिए इनके संचालक आशीष गौतम व संयोजक संजय चतुर्वेदी की प्रशंसा भी की।इस अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा बाबा रामदेव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।