केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन सोमवार को 19वें दिन जारी है और विभिन्न किसान यूनियन के नेता एक दिन के भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वहीं भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि केंद्र एमएसपी को लेकर लोगों को गुमराह कर रही है।
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने 8 दिसंबर की बैठक के दौरान हमें जवाब दिया कि वे सभी 23 फसलों को एमएसपी पर नहीं खरीद सकते क्योंकि इसकी लागत 17 लाख करोड़ रुपये है। किसान नेता ने आगे कहा कि केंद्र उतनी ही दाम में फसल खरीदता रहेगा, जितने दाम में पहले खरीदते थे और वही केंद्र के लिए ‘एमएसपी पर खरीद’ का मतलब है। लेकिन हम अब उस पर जीवित नहीं रह सकते। और केंद्र सभी राज्यों से MSP पर फसलें नहीं खरीद रहा है।
बता दें कि किसान संगठनों के नेता केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन नये कानून- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करवाने की मांग पर अड़े हैं। जबकि सरकार इन कानूनों में संशोधन के लिए उन्हें मनाने की कोशिश में जुटी है। मगर, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध सिर्फ तीनों काूननों को वापस लेने की मांग पर बना हुआ है, जिसके कारण आगे बातचीत नहीं हो पा रही है।
हालांकि किसानों की मांगों की फेहरिस्त लंबी है। किसान संगठनों के नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सारी अधिसूचित फसलों की खरीद की गारंटी के लिए नया कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं जबकि सरकार ने एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने के लिए लिखित तौर पर आश्वासन देने की बात कही है। इसके अलावा, उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुर्माने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है।