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PM मोदी बोले-शिक्षा नीति में सरकार का दखल और प्रभाव कम से कम होना चाहिए

राज्यपालों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नीति में जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों की शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी जिम्मेदारियों पर भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई शिक्षा नीति पर आयोजित राज्यपालों की वीडियो कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी इस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बने। राज्यपालों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नीति में जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों की शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी जिम्मेदारियों पर भी चर्चा की। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए। 
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक जुड़ेंगे, छात्र जुड़ेंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है। देश के लाखों लोगों ने, शहर में रहने वाले, गांव में रहने वाले, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था, अपने सुझाव दिए थे। 
उन्होंने कहा कि दो लाख से अधिक लोगों के सुझाव लेकर शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार हुआ था। इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वागत हो रहा है। इसकी स्वीकार्यता देखने को मिली है। नई शिक्षा नीति अध्ययन के बजाय सीखने पर केंद्रित है और महत्वपूर्ण सोच पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पाठ्यक्रम से आगे जाती है। इस नीति में हमने जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर जोर दिया है।
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उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निर्णय लेने के बाद राष्ट्र ने एक और कदम उठाया है। आज देश विस्तार से चर्चा कर रहा है और इसके कार्यान्वयन के बारे में सोच रहा है। यह नीति 21 वीं सदी के भारत के सामाजिक और आर्थिक जीवन को एक नई दिशा देगी। लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। 
विशिष्ट धाराओं के लिए छात्रों पर दबाव हटा दिया गया है। हमारे युवा अब अपनी रुचि के अनुसार सीख सकेंगे। पहले छात्र अपनी अभिरुचि से परे एक धारा चुनते थे और उन्हें इसका अहसास बहुत बाद में हुआ। इस तरह की समस्याओं को इस शिक्षा नीति में दूर किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भविष्य को ध्यान में रखते हुए व्यापक प्रावधान किए गए है। जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार गांवों तक हो रहा है। वैसे-वैसे सूचना और शिक्षा का एक्सेस भी बढ़ रहा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर कॉलेज में तकनीकी सॉल्यूशंस को ज्यादा प्रमोट करें।

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