राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ओबीसी संशोधन बिल को ग्रीन सिग्नल दे दिया है, जिसके बाद अब यह बिल कानून बन चुका है। ओबीसी संशोधन बिल को मॉनसून सत्र के दौरान पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा से पास कराया गया था। इस बिल को सभी पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने समर्थन दिया था।
इस कानून के बनने के बाद अब राज्य खुद ओबीसी सूची तैयार कर सकेंगे। इस कानून से राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों को अन्य पिछड़ा वर्ग की लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिलेगा। इसी साल 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर पुर्नविचार की याचिका पर सुनवाई करने की मांग खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 102वें संविधान संशोधन के बाद लिस्ट जारी करने का अधिकार केवल केंद्र के पास है। इस बिल के समर्थन में लोकसभा में 385 सदस्यों ने मतदान किया। सदन में किसी भी सदस्य ने इस बिल का विरोध नहीं किया था। अभी तक का नियम यह था कि राज्य ओबीसी की लिस्ट लेकर ओबीसी आयोग में जाते हैं जहां लिस्ट और उसकी जातियों पर फैसला लिया जाता है और आयोग मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजता है। अब नए विधेयक के मुताबिक राज्य अपनी लिस्ट बना सकते हैं और उस पर फैसला ले सकते हैं।