रायपुर : जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा की ओर से दिए गए तर्कों को आधार बनाते हुए छत्तीसगढ़ में विपक्ष ने घेरेबंदी शुरू कर दी। वहीं छत्तीसगढ़ में जम्मू कश्मीर से भी भयावह हालातों का दावा करते हुए कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठा दी। वहीं भाजपा की ओर से राम माधव के दिए गए तीन तर्कों का हवाला देकर छत्तीसगढ़ के हालातों से तुलना की। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने दावे किए प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है।
आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में और बस्तर और सरगुजा के हालातों को खतरनाक स्थिति माना। कानून व्यवस्था लचर होने के दावे के साथ कई घटनाओं की याद दिलाकर दबाव बनाया। इसके अलावा दावे किए गए कि नागरिकों को सुरक्षा देने में नाकामी के साथ प्रदेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में भी रमन सरकार बुरी तरह विफल रही है।
नागरिकों के साथ भेदभाव और छात्रों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक के दमन के आरोप लगाए। भाजपा समर्थित निर्दलीय विधायक की पुलिसिया पिटाई पर भी सवाल उठाए। कांग्रेस ने दावे कि देश में सुरक्षा बलों के जवानों की शहादत में छत्तीसगढ़ आगे रहा है।
आधे से अधिक जवानों की छत्तीसगढ़ में शहादत हुई है। नक्सल उन्मूलन की आड़ में आदिवासी प्रताडऩा के साथ यौन उत्पीडऩ का दौर चल रहा है। मड़कम हिड़मे और मीना खलखों के मामले में यही हुआ। देश में राजनेताओं के सामूहिक नरसंहार की घटना छत्तीसगढ़ में हुई लेकिन इसकी जांच तक नहीं कराई है।
कांग्रेस ने आरोप लगाए कि प्रदेश में चंद नौकरशाह ही सरकार चला रहे हैं। वहीं प्रशासन पर शासन का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। बस्तर में सात सौ गांव खाली हो चुके हैं। राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से विपक्ष के विधायकों पर अपहरण जैसे संगीन धाराएं दर्ज हो गई है।
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