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समस्या: फिर बढ़ने लगा प्रदूषण का स्तर, लॉकडाउन के दौरान 88 फीसदी घटा था वायु प्रदूषण

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरू में पीएम 2.5 का स्तर महामारी के बाद लगाए गए राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान 45 से 88 प्रतिशत तक कम हो गया था।

दिल्ली, मुंबई जैसे देश के बड़े शहरों में प्रदूषण की समस्या अक्सर देखने को मिलती है। महामारी के चलते पूरा देश लगभग दो महीनों से बंद था, जिसके चलते प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई थी चूंकि अब देश में फिर से विभिन्न गितिविधियां धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं, तो प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ने लगा है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के शुरुआती चरण के दौरान देश के छह प्रमुख शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी गिर गया था। हाल ही में हुए एक अध्ययन में इसका पता चला है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरू में पीएम 2.5 का स्तर महामारी के बाद लगाए गए राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान 45 से 88 प्रतिशत तक कम हो गया था।  विश्लेषण में पाया गया कि जब देश राष्ट्रव्यापी बंद 4.0 तक पहुंचा तो और यहां गतिविधि धीरे-धीरे दोबारा शुरू हुईं तो प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा। रिपोर्ट में कहा गया है, छह शहरों में राष्ट्रव्यापी बंद 4.0 के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में दो-छह गुना वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में निकले निष्कर्षों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में चार से छह गुना प्रदूषण में वृद्धि दर्ज की गई। जबकि अन्य शहरों में दो से छह गुना वृद्धि देखी गई। प्रदूषण में शुरुआती कमी का कारण यह था कि राष्ट्रव्यापी बंद होने के तुरंत बाद औद्योगिक गतिविधि बंद हो गई थी। इसके अलावा सड़क पर यातायात में कमी और निर्माण गतिविधियों पर अस्थायी रोक से भी प्रदूषण घटा।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि विश्लेषण से पता चला कि आसमान को नीला बनाने और हमारी हवा व फेफड़े को साफ रखने के लिए देश को कितने बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप की जरूरत है। सीएसई ने बेहतर, स्वच्छ एवं अधिक टिकाऊ पर्यावरण और वायु गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय मांगों का एक चार्टर भी प्रस्तुत किया है।

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