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चुनावी बांड योजना के खिलाफ जनहित याचिका पर दशहरे से पहले नहीं हो सकेगी सुनवाई : SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजनीतिक दलों के वित्तपोषण और उनके खातों में पारदर्शिता की कथित कमी से संबंधित मामला लंबित रहने के दौरान चुनावी बांड की आगे और बिक्री की अनुमति नहीं देने एनजीओ की याचिका पर आठ अक्टूबर को सुनवाई नहीं कर पाएगा।

देश की सबसे बड़ी अदलात (सुप्रीम कोर्ट) ने सोमवार को कहा कि वह राजनीतिक दलों के वित्तपोषण और उनके खातों में पारदर्शिता की कथित कमी से संबंधित मामला लंबित रहने के दौरान चुनावी बांड की आगे और बिक्री की अनुमति नहीं देने संबंधी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर आठ अक्टूबर को सुनवाई नहीं कर पाएगा।
वकील प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से अनुरोध किया कि ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ एनजीओ की जनहित याचिका को आठ अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों की सूची से नहीं हटाया जाए। उनके इस अनुरोध पर पीठ ने यह टिप्पणी की।

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पीठ ने कहा, ‘‘शुक्रवार (आठ अक्टूबर) का दिन (दशहरे की छुट्टियों से पहले) आखिरी दिन है। हम (शुक्रवार को) इस पर सुनवाई नहीं कर पाएंगे।’’ एनजीओ ने इस साल मार्च में एक अंतरिम आवेदन दाखिल कर केंद्र और अन्य पक्षों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण और उनके खातों में पारदर्शिता की कथित कमी से संबंधित एक मामले के लंबित रहने के दौरान चुनावी बांड की आगे और बिक्री की अनुमति नहीं दी जाए।

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इस संगठन ने राजनीतिक दलों को अवैध तरीके से और विदेशों से मिलने वाले धन और उनके खातों में पारदर्शिता की कमी के कारण कथित रूप से लोकतंत्र को नुकसान पहुंचने और भ्रष्टाचार के इस मामले पर 2017 में जनहित याचिका दायर की थी।
लंबित याचिका में दाखिल इस आवेदन में संगठन ने दावा किया था कि इस बात की गंभीर आशंका है कि पश्चिम बंगाल और असम समेत कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी बांडों की आगे और बिक्री से ‘‘मुखौटा कंपनियों के जरिये राजनीतिक दलों का अवैध और गैरकानूनी वित्तपोषण और बढ़ेगा।

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उसने आरोप लगाया कि 2017-18 और 2018-19 के लिए ऑडिट रिपोर्ट में राजनीतिक दलों द्वारा घोषित चुनावी बांडों के आंकड़ों के अनुसार ‘‘सत्तारूढ़ दल को आज तक जारी कुल चुनावी बांड के 60 प्रतिशत से अधिक बांड प्राप्त हुए थे। आवेदन में केंद्र को मामला लंबित रहने तक और चुनावी बांड की बिक्री नहीं होने देने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया है कि अब तक 6,500 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बांड बेचे गये हैं, जिनमें अधिकतर चंदा सत्तारूढ़ पार्टी को गया है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 20 जनवरी को 2018 की चुनावी बांड योजना पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और योजना पर रोक लगाने की एनजीओ की अंतरिम अर्जी पर केंद्र तथा निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। सरकार ने दो जनवरी, 2018 को चुनावी बांड योजना की अधिसूचना जारी की थी।

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