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गैर कराधान प्रावधानों के तहत 7 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव का मकसद व्यवस्था को सरल बनाना : सीतारमण

ओम बिरला ने कहा कि नियम 219 में भी इस संभावना से इंकार नहीं किया गया है कि गैर कराधान प्रावधान को शामिल नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस बारे में आपत्तियों को अस्वीकार किया जाता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि वित्त विधेयक में गैर कराधान प्रावधानों के तहत सात अधिनियमों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यवस्था को सरल किया जा सके, मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ बनाया जा सके एवं विनिर्माण क्षेत्रों को मजबूती प्रदान की जा सके। 
सीतारमण ने निचले सदन में कहा कि वित्त विधेयक के जरिए कानूनों में संशोधन पांच मुख्य श्रेणियों में किया गया है जिसमें माल एवं सेवा कर (जीएसटी), प्रत्यक्ष कर, आयकर, धन शोधन रोकथाम जैसे क्षेत्र शामिल हैं। निचले सदन में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने धन विधेयक के रूप में वित्त संख्या 2 विधेयक 2019 को चर्चा के लिए आगे बढ़ाए जाने का विरोध किया। 
उन्होंने कहा कि यह वित्त विधेयक संविधान के अनुच्छेद 110 और सदन संचालन की प्रक्रिया के नियमों के तहत धन विधेयक की परिकल्पना को पूरा नहीं करता क्योंकि इसके माध्यम से अनेक कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने इस संबंध में पूर्व सभापतियों जी वी मावलंकर, ए अयंगर तथा सुमित्रा महाजन द्वारा दी गई व्यवस्था का भी जिक्र किया। 
प्रेमचंद्रन ने सरकार पर पिछले दरवाजे से कानून में संशोधन के प्रयास का आरोप भी लगाया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हालांकि उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि प्रेमचंद्रन ने संविधान के अनुच्छेद 110 और सदन संचालन की प्रक्रिया के नियम 219 का जिक्र करते हुए कहा है कि धन विधेयक के माध्यम से गैर कराधान संबंधी प्रावधान को शामिल नहीं किया जा सकता। 
उन्होंने इस संबंध में अतीत में लोकसभा अध्यक्षों द्वारा दी गई ऐसी व्यवस्था का भी जिक्र किया। ओम बिरला ने कहा कि नियम 219 में भी इस संभावना से इंकार नहीं किया गया है कि गैर कराधान प्रावधान को शामिल नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस बारे में आपत्तियों को अस्वीकार किया जाता है। 
सरकार ने इसके माध्यम से गैर कराधान प्रावधान से जुड़े विषयों के संबंध में सात कानूनों में संशोधन करने के अलावा कर संबंधी प्रावधानों वाले सात कानूनों में भी बदलाव का प्रस्ताव किया है। विधेयक को चर्चा के लिए आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन बदलाव का मकसद गैर कराधान विषयों से जुड़े मामलों को अधिक सरल और प्रभावी बनाना है। 
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष कर से जुड़े कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव का मकसद व्यवस्था को सरल बनाना, मेक इन इंडिया पहल को सुदृढ़ बनाना एवं विनिर्माण क्षेत्रों को मजबूती प्रदान करना है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के संबंध में ही पांच अलग तरह के संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम क्षेत्र से जुड़ी अनुपालना की व्यवस्था को सरल बनाया जा सके। 
उन्होंने कहा कि सेबी कानून में संशोधन सहित वित्तीय बाजार से जुड़े कई कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। एन के प्रेमचंद्रन की आपत्तियों पर सीतारमण ने कहा कि प्रेमचंद्रन ने जिन नियमों एवं संवैधानिक प्रावधानों का जिक्र किया है, वे गैर कराधान प्रावधानों को वित्त विधेयक में शामिल करने से नहीं रोकते और केवल यह कहते हैं कि जब जरूरी हो तब ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार इन्हें जरूरी मानती है। ’’ कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने भी आरोप लगाया कि सरकार संसद के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रही है। 

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