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पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने असहमति वाली टिप्पणी का खुलासा करने से चुनाव आयोग के इनकार पर चुप्पी साधी

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की असहमति वाली टिप्पणियों का आरटीआई कानून के तहत खुलासा नहीं करने के निर्वाचन आयोग के फैसले पर कुछ भी बोलने से मंगलवार को इनकार कर दिया।

हैदराबाद : पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की असहमति वाली टिप्पणियों का आरटीआई कानून के तहत खुलासा नहीं करने के निर्वाचन आयोग के फैसले पर कुछ भी बोलने से मंगलवार को इनकार कर दिया। लवासा की असहमति वाली टिप्पणियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उन भाषणों को लेकर थी जिसमें आदर्श आचार संहिता का कथित तौर पर उल्लंघन किया गया था। 
कुरैशी ने मुद्दे पर चुनाव आयोग के पक्ष के संबंध में कहा, “मैं खुद मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुका हूं, इसलिये उस संस्था पर टिप्पणी नहीं करुंगा जहां मैंने काम किया है।” 
चुनाव आयोग ने यह जानकारी साझा न करने के लिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा आठ (1) का हवाला दिया है जिसके तहत उस सूचना का खुलासा नहीं किया जा सकता जो किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकती हो या सूत्र की पहचान करती हो या कानून लागू करने या सुरक्षा उद्देश्यों को लेकर भरोसे में दी गई सहायता से जुड़़ी हो। 
चुनाव आयोग ने पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता विहार धुर्वे के आवेदन पर यह जवाब दिया है। उन्होंने एक अप्रैल को वर्धा, नौ अप्रैल को लातूर, 21 अप्रैल को पाटन और बाड़मेर तथा 25 अप्रैल को वाराणसी में हुई रैलियों में दिये गए भाषणों में मोदी द्वारा आदर्श आचार संहिता का कथित तौर पर उल्लंघन किये जाने को लेकर मिली शिकायतों पर फैसला करने के दौरान लवासा की ओर से जताई गई असहमति वाली टिप्पणियों को सार्वजनिक करने की मांग की थी। 
धुर्वे ने इन भाषणों के संबंध में आयोग के निर्णय तथा पालन की गई प्रक्रिया के बारे में भी सूचना मांगी थी। आयोग ने धारा आठ (1) (जी) का हवाला देते हुए यह जानकारी देने से भी इनकार कर दिया। 
गौरतलब है कि लवासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को उनके भाषणों पर आयोग द्वारा एक के बाद एक दी गई क्लीन चिट पर असहमति जताई थी। 

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