कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर तंज कसते हुए आज फिर कहा कि यह “सूट बूट की सरकार” है और पूंजीपतियों के हितों को सुरक्षित करने में लगी हुई है।
Chronology samajhiye:
First, karz maafi for few big companies.
Next, huge tax cuts for companies.
Now, give people’s savings directly to banks set up by these same companies. #SuitBootkiSarkar pic.twitter.com/DjK2mya4EZ— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 24, 2020
उन्होंने कहा कि कि सरकार सिर्फ अपने उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए व्यवस्थित तरीके से तथा धीरे-धीरे काम कर रही है। उसका मकसद सिर्फ पूंजीपतियों के हित साधने और उनके फायदे के लिए काम करना है।
राहुल ने ट्वीट किया, “सरकार जिस तरह से काम कर रही है वह क्रोनोलॉजी समझिए : पहले कुछ बड़ी कंपनियों का कर्ज माफ किया। फिर कंपनियों के बड़े स्तर पर टैक्स में छूट दी। अब इन्हीं कंपनियों द्वारा स्थापित बैंकों में जनता की कमाई सीधे जमा करने की तैयारी जर रही है सूट बूट की सरकार।”
इसके अलावा कांग्रेस नेता ने एक खबर को भी शेयर किया है जिसमे रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश आज के हालात में चौंकाने वाली है। दोनों का मानना है कि बैंकिंग क्षेत्र में कारोबारी घरानों की संलिप्तता के बारे में अभी आजमायी गयी सीमाओं पर टिके रहना अधिक महत्वपूर्ण है।
रिजर्व बैंक के द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) ने पिछले सप्ताह कई सुझाव दिये थे। इन सुझावों में यह सिफारिश भी शामिल है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम में आवश्यक संशोधन करके बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है। राजन और आचार्य ने एक साझा आलेख में यह भी कहा कि इस प्रस्ताव को अभी छोड़ देना बेहतर है।
आलेख में कहा गया है, “जुड़ी हुई बैंकिंग का इतिहास बेहद त्रासद रहा है। जब बैंक का मालिक कर्जदार ही होगा, तो ऐसे में बैंक अच्छा ऋण कैसे दे पायेगा? जब एक स्वतंत्र व प्रतिबद्ध नियामक के पास दुनिया भर की सूचनाएं होती हैं, तब भी उसके लिये खराब कर्ज वितरण पर रोक लगाने के लिये हर कहीं नजर रख पाना मुश्किल होता है।’’