कोरोना वायरस (कोविड-19) प्रसार को रोकने के लिए केंद्र द्वारा लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग और ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्ट कराए जाने पर जोर दिया। राहुल गांधी ने कोरोना से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को पॉज बटन बताया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि लॉकडाउन किसी भी तरह से कोविड-19 को फैलने से रोकने का समाधान नहीं है। यह सिर्फ एक पॉज बटन की तरह है। उन्होंने कहा कि जब हम लॉकडाउन से बाहर आएंगे तो वायरस अपना काम फिर से शुरू करने वाला है। राहुल ने कहा कि अब भारत एक आपातकालीन स्थिति में पहुंच चुका है। भारत को एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ना होगा। मेरा मुख्य सुझाव यह है कि कुंद यंत्रों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
हमें रणनीतिक रूप से काम करना चाहिए। लॉकडाउन ने समस्या का समाधान नहीं किया है, इसने केवल समस्या को कुछ समय के लिए रोक दिया है। कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार कोरोना परीक्षण है ताकि आप जान सकें कि वायरस कहां जा रहा है और आप इससे निजात पा सकते हैं। उन्होंने कहा कि टेस्टिंग के जरिए एक लक्ष्य बना सकते हैं जो कोरोना से लड़ने में मददगार साबित होगा।
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राहुल ने कहा कि हमारी परीक्षण दर एक लाख में से सिर्फ 199 है । उन्होंने कहा कि पिछले 72 दिनों में हमारे द्वारा किए गए सभी परीक्षण प्रति जिले औसतन 350 किए गए हैं। राहुल ने कहा कि ” मैं बहुत सारे मुद्दों से नरेंद्र मोदी से असहमत हूं लेकिन यह लड़ने के लिए उचित समय नहीं है बल्कि एकजुट होकर वायरस से लड़ने का है।”
राहुल ने कहा कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस संकट का स्थायी समाधान नहीं होगा, बल्कि बड़े पैमाने पर और रणनीतिक रूप से जांच से ही इस वायरस को पराजित किया जा सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से यह आग्रह भी किया कि राज्यों और जिलों को पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए जाएं।
राहुल ने कहा कि “मैं आलोचना के लिए नहीं, रचनात्मक सहयोग के लिए टिप्पणी कर रहा हूं। सभी राजनीतिक दलों और जनता को इस संकट को मिलकर काम करना होगा।” उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील करते हुए कहा कि आक्रामक ढंग से बड़े पैमाने पर कोरोना जांच की जाए जो एक रणनीतिक रूप से हो।