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‘रेल रोको’ का न्यूनतम प्रभाव, कोई अप्रिय घटना नहीं, अधिकारियों ने किया अत्यंत धैर्य का प्रयोग : रेलवे

तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चार घंटे के ‘रेल रोको’ का देश भर में ट्रेन परिचालन पर ‘न्यूनतम या नगण्य’ प्रभाव पड़ा और यह समय बिना किसी अप्रिय घटना के गुजर गया।

तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के चार घंटे के ‘रेल रोको’ का देश भर में ट्रेन परिचालन पर ‘न्यूनतम या नगण्य’ प्रभाव पड़ा और यह समय बिना किसी अप्रिय घटना के गुजर गया। रेलवे अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता डीजे नारायण ने कहा, ‘रेल रोको आंदोलन बिना किसी अप्रिय घटना के गुजर गया। देश भर में ट्रेनों के परिचालन पर नगण्य या न्यूनतम प्रभाव पड़ा।’
उन्होंने कहा कि अभी सभी जोन में ट्रेन की आवाजाही सामान्य है। अधिकारी ने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में आंदोलनकारियों द्वारा गाड़ियों को रोके जाने के एक भी मामले की सूचना नहीं दी है। उन्होंने कहा कि उत्तर मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, दक्षिणी रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर सीमा रेलवे, मध्य रेलवे और दक्षिण पश्चिम रेलवे ने किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं दी है। 
प्रवक्ता ने कहा कि कुछ जोनल रेलवे के क्षेत्रों में कुछ ट्रेनों को रोका गया था, लेकिन अब ट्रेन परिचालन सामान्य है। उन्होंने कहा, ‘रेल रोको आंदोलन से निपटने के दौरान, सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा अत्यंत धैर्य का प्रयोग किया गया।’ चार घंटे तक चले रेल रोको आंदोलन के मद्देनजर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में 20 कंपनियां तैनात की थीं। 
बिहार में, प्रदर्शनकारियों ने पटना के सचिवालय हॉल्ट, आरा, रोहतास और बिहारशरीफ रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनें रोकी थीं। रेल रोको का असर राजस्थान के कई हिस्सों में भी दिखाई दिया, क्योंकि जयपुर के गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर कृषि नेता इंजन पर खड़े दिखाई दे रहे थे। चोमू में किसानों ने रेलवे ट्रैक को भी जाम कर दिया। 
उत्तर प्रदेश में रेल रोको आह्वान का असर नहीं हुआ। मेरठ, बलिया, प्रयागराज, मथुरा, बहराइच, बिजनौर, अमेठी और अलीगढ़ में ट्रेनों को रोकने के लिए किसानों ने प्रयास किए, लेकिन उनके प्रयासों को सतर्क पुलिसकर्मियों ने नाकाम कर दिया। वहीं उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों ने रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया। 

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