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प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए रेलवे की मनरेगा का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक उच्चस्तरीय बैठक में इस बारे में विचार विमर्श किया है। उन्होंने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों (जोन) को सरकार के इस ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य आवंटन बढ़ाने तथा श्रमिकों को इस योजना के तहत रोजगार देने के तरीके ढूंढने को कहा है।

कोरोना महामारी के चलते लाखों मजदूरों को अपना रोजगार खोना पड़ा था। तो दूसरी ओर कईं राज्यों से खबर आ रही थी मनरेगा के तरह लाखों लोगों को रोजगार दिया गया है। इस बीच, भारतीय रेलवे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए मनरेगा का इस्तेमाल बढ़ाने की योजना बना रहा है। रेलवे की योजना लेवल क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों के लिए संपर्क मार्ग के निर्माण मरम्मत के लिए मनरेगा का इस्तेमाल बढ़ाने की है। इससे कोरोना वायरस महामारी की वजह से अपनी घरों-गांवों को लौट चुके प्रवासी श्रमिकों के रोजगार संकट को दूर करने में मदद मिलेगी।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक उच्चस्तरीय बैठक में इस बारे में विचार विमर्श किया है। उन्होंने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों (जोन) को सरकार के इस ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य आवंटन बढ़ाने तथा श्रमिकों को इस योजना के तहत रोजगार देने के तरीके ढूंढने को कहा है। सभी क्षेत्रों को कहा गया है कि वे उन श्रमिकों की सूची तैयार करें जिन्हें इसके तहत विभिन्न तरह के कार्यों में लगाया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे ने कई जिलों मसलन बिहार के कटिहार, आंध्र प्रदेश के वारंगल, राजस्थान के उदयपुर, तमिलनाडु के मदुरै, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के मालदा में इस योजना का इस्तेमाल किया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में उसने ज्यादातर निजी क्षेत्र के कुशल श्रमिकों की सेवाएं ली हैं।
रेलवे के प्रवक्ता डी जे नारायण ने कहा, ‘‘ हम अपने गांवों को लौट चुके प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत रोजगार की संभावना तलाश रहे हैं। इससे सभी को फादा होगा।’’ सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल मई में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत रिकॉर्ड संख्या में 3.44 करोड़ परिवारों के 4.89 करोड़ लोगों ने काम मांगा है। अधिक से अधिक संख्या में प्रवासी श्रमिकों के अपने घर लौटने से मांग और आपूर्ति का अंतर और बढ़ता जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर मजदूर अकुशल हैं। इसलिए उन्हें लेवल क्रॉसिंग के संपर्क मार्ग के निर्माण-मरम्मत, ट्रैक के पास ड्रेन, जलमार्गों की सफाई, रेलवे स्टेशनों के संपर्क मार्गो के निर्माण और रखरखाव, झाड़ियों आदि को हटाने और रेलवे की जमीन पर पेड़-पौधे लगाने जैसे कार्यों में लगाया जा सकता है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि रेलवे में मनरेगा के तहत अधिक कामकाज नहीं होता है। क्योंकि रेलवे का ज्यादा कार्य गांवों से दूर होता है। यह मुख्य रूप से शहरों में केंद्रित है। गांवों के आसपास रेलवे ट्रैक नहीं है। ऐसे पुल नहीं हैं जहां इन लोगों से काम लिया जा सके। अधिकारी ने कहा कि इनमें से ज्यादातर अकुशल श्रमिक हैं। सुरक्षा कारणों से रेलवे में इनके लिए ज्यादा काम नहीं है। हालांकि, इस अनिश्चित समय में हम चाहते हैं कि उनको अधिक से अधिक रोजगार दिया जा सके।

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