भारतीय रेलवे के लिए आज का दिन बेहद ऐतिहासिक रहा। सिकंदराबाद में आज स्वदेश निर्मित ट्रेन टक्कर सुरक्षा ‘कवच’ प्रणाली का सफल परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान दो ट्रेनों को फूल स्पीड से आमने-सामने चलाया गया, जिसमें एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद थे।
परीक्षण के साक्षी बने अश्विनी वैष्णव ने कहा, “अगर दो ट्रेन एक ही ट्रैक पर आमने-सामने आ रही हों तो एक सुरक्षित दूरी पर कवच अपने आप उसे रोक देगा।” अगर ट्रेन लाल सिग्नल की तरफ बढ़ेगी तो अपने आप स्लो होकर रूक जाएगी। इस साल 2000 किलोमीटर पर कवच को लगाया जाएगा और आगामी वर्षों में हर वर्ष 4000 से 5000 किलोमीटर का लक्ष्य रखेंगे। आत्मनिर्भर भारत की इस मिसाल को दुनिया के विकसित देशों में भी निर्यात किया जाएगा।
As the gate approaches, Kavach automatically initiates whistling without any intervention from the driver.
Auto whistle test is done successfully. 👏👏#BharatKaKavach pic.twitter.com/02WrSJ1MYl— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 4, 2022
रेल मंत्री ने इस परीक्षण का एक मिनट का वीडियो साझा किया है। इसमें इंजन के कैबिन में रेल मंत्री वैष्णव व अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया, ‘रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है। कवच ने अन्य लोको से 380 मीटर पहले लोको को स्वचालित रूप से रोक दिया’। कवच ऐसी स्वदेशी तकनीक है, जिसके इस्तेमाल से दो ट्रेनों की टक्कर रोकी जा सकेगी। यह दुनिया की सबसे सस्ती रेल सुरक्षा तकनीक है। ‘जीरो ट्रेन एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस कवच का विकास किया गया है।
कैसे काम करेगा ‘कवच’
‘कवच’ को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ‘शून्य दुर्घटना’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी। इस डिजिटल प्रणाली के कारण मानवी त्रुटियों जैसे कि लाल सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन खुद ही रूक जाएंगी।