नई दिल्ली, (पंजाब केसरी): दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे इसका तापमान बढ़ता जा रहा है। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) का चुनाव इसी महीने की 27 से 30 तारीख तक चलेगा | इस बार डीडीसीए का चुनाव कुछ अलग ही रंग में है। शायद यह पहली बार होगा कि किसी सर्वे एजेंसी ने डीडीसीए के चुनाव से प्री-पोलिंग सर्वे किया है। सर्वे करनी वाली एजेंसी भी सी-वोटर है, जोकि देश में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए प्री और पोस्ट पोलिंग करती है। इतनी बड़ी एजेंसी द्वारा सर्वे किए जाने के कुछ तो मायने होंगे ही। बहरहाल, डीडीसीए चुनाव में सी-वोटर के सर्वे ने नया मोड़ ला दिया है। सी-वोटर के सर्वे में देश के जाने-माने पत्रकार रजत शर्मा ने सभी प्रत्याशियों के छक्के छुड़ा दिए हैं।
सर्वे के अनुसार डीडीसीए के अध्यक्ष पद के रूप में 52.6 प्रतिशत लोग रजत शर्मा को पसंद करते हैं। सर्वे के अनुसार रजत शर्मा के नजदीक भी कोई नहीं है। दूसरे नंबर पर लोगों की पसंद पूर्व क्रिकेटर मदन लाल हैं।
जिन्हें महज 18.7 प्रतिशत सदस्यों ने पसंद किया है। तीसरे नंबर पर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को सिर्फ 5.6 प्रतिशत सदस्यों ने अपना वोट दिया है। जबकि 16.1 प्रतिशत लोगों ने इस सर्वे का जवाब देने से ही मना कर दिया। 3.7 प्रतिशत लोगों ने इस सर्वे में भाग लेने से मना कर दिया है। सर्वे में दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली की 61.1 प्रतिशत जनता रजत शर्मा को डीडीसीए के अध्यक्ष के रूप में देखना चाहती है। हालांकि, डीडीसीए के चुनाव में दिल्ली की आम जनता वोट नहीं करती है, यहां सिर्फ सदस्यों को ही वोट करने का अधिकार है। रजत शर्मा के अलावा उनकी टीम पैनल से राकेश बंसल (उपाध्यक्ष), विनोद तिहरा (सचिव), ओम प्रकाश शर्मा (कोषाध्यक्ष) और राजन मनचंदा (संयुक्त सचिव) पद के उम्मीदवार हैं। सी-वोटर के सर्वे में अध्यक्ष पद के अलावा और भी कई सवाल सदस्यों से पूछे गए थे, जिसके आधार पर पूरा सर्वे तैयार किया गया है। इसमें क्रिकेट में सट्टेबाजी को लीगल करना चाहिए या नहीं, आईपीएल को एक अलग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना देना चाहिए क्या, जैसे सवाल भी थे।
प्रॉक्सी वोटिंग सिस्टम को प्रतिबंध सही…
लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद, इस समय प्रॉक्सी वोटिंग सिस्टम को प्रतिबंधित कर दिया गया है। क्या आपको लगता है कि यह वोटिंग प्रक्रिया पारदर्शिता ला पाएगा? जैसे सवाल भी सर्वे में सामने आए हैं। जिसमें 94.4 फीसदी लोगों ने हां कहा है। जबकि मात्र 3.7 फीसदी ने इसे सही नहीं ठहराया है।
30 प्रतिशत सदस्यों ने कहा खेलों में सट्टेबाजी को लीगल होना चाहिए…
डीडीसीए के चुनाव से पहले सी-वोटर के सर्वे में जहां अध्यक्ष पद के लिए रजत शर्मा को सबसे अधिक वोट मिल रहा है, वहीं 30.8 फीसदी डीडीसीए के सदस्य खेलों में सट्टेबाजी के लीगल करने के पक्ष में है। जबकि 40.2 फीसदी लोगों ने इसे नहीं कहा है। 20.6 फीसदी सदस्य मानते हैं कि सट्टेबाजी को एक लिमिट तक मान्यता मिलनी चाहिए। दिल्ली के आम लोगों का भी कुछ ऐसा ही मानना है। 44.4 फीसदी लोग कहते हैं कि यह लीगल नहीं होनी चाहिए, जबकि सर्वे में शामिल लोगों में 26.6 फीसदी कहते हैं कि इसे लीगल कर देना चाहिए। 27.4 फीसदी लोगों का कहना है कि एक लिमिट तक ही सट्टेबाजी को वैध किया जाए।
39.3 प्रतिशत चाहते हैं कि आईपीएल एक निजी कंपनी बने और इनते ही चाहते हैं नहीं बने…
सर्वे में एक सवाल यह भी था कि क्या आपको लगता है कि आईपीएल को एक अलग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाया जाना चाहिए, जिसे अपने सभी मुनाफे को फिर से इंवेस्ट करना चाहिए? इस पर सदस्य बराबर बंट गए हैं। 39.3 फीसदी चाहते हैं कि आईपीएल एक अलग कंपनी बनाई जाए और 39.3 फीसदी चाहते हैं कि अलग प्राइवेट कंपनी नहीं बननी चाहिए। जबकि 21.5 फीसदी सदस्य इसमें कोई राय नहीं रखते।
डीडीसीए की गरीमा खोने में भ्रष्टाचार सबसे ऊपर…
सर्वे में यह भी पूछा गया है कि डीडीसीए ने अपनी गरिमा खो दी है, इसके क्या कारण है? इस पर सदस्यों ने अपनी राय में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा कारण बताया है। 39.3 फीसदी सदस्यों ने कहा है कि भ्रष्टाचार के कारण ही डीडीसीए बदनाम हो गया। 4.7 फीसदी सदस्यों ने प्रोक्सी वोटिंग को जिम्मेदार ठहराया है। 7.5 फीसदी लोगों ने कहा कि एडमिस्ट्रेशन बहुत खराब रहा। जबकि 8.4 फीसदी मानते हैं कि डीडीसीए अपनी गरिमा कभी नहीं खो सकते।
56 फीसदी ने कहा लोढ़ा समिति के सुझाव अच्छे…
सर्वे में यह भी पूछा गया है कि क्या आपको लगता है कि लोढ़ा समिति द्वारा सुझाए गए महत्वपूर्ण संशोधन तर्कसंगत हैं और उन्हें कार्यान्वित करने से पारदर्शिता बढ़ेगी और बेहतर कामकाज को बढ़ावा देगा? इस पर 56.1 फीसदी सदस्यों ने कहा है हां, उनके सुझाव बहुत अच्छे हैं। जबकि मात्र 5.6 फीसदी सदस्यों ने कहा नहीं अधिकतर सिफारिशें तर्कहीन हैं। जबकि 18.7 फीसदी कहा है कि लोढ़ा समिति के कुछ सुझाव ही अच्छे हैं।
टीएनपीएल की तरह डीपीएल हो…
क्या आपको लगता है कि तमिलनाडु प्रीमियर लीग टीएनपीएल की तरह, हमारे पास दिल्ली प्रीमियर लीग डीपीएल भी होना चाहिए? के जवाब में 59.8 फीसदी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं, जबकि 13 फीसदी लोग इसे सही नहीं ठहराते हैं। 27.1 फीसदी सदस्य इससे खुद को दूर रखते हैं।
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