1962 के भारत-चीन युद्ध को लेकर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, 20 अक्टूबर से 21 नवंबर, 1962, स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक काले और अपमानजनक अध्याय के रूप में हमेशा जाना जायेगा। यही वह समय था जब हजारों भारतीयों और हमारे सैनिकों ने अपने जीवन की कीमत चुकाई थी।
चीनी भारत भाई भाई की नीति का नारा पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके वामपंथी रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन के तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने किया, राजीव चन्द्रशेखर ने आगे आरोप लगाया कि यह कमजोर नेतृत्व ही था जिसने हमारे सशस्त्र बलों के मनोबल को क्षति पहुंचाई। भारत को इस कमजोर और भ्रमित नेतृत्व की कीमत चुकानी पड़ी, और हमारे गौरवान्वित देश को वैश्विक अपमान सहना पड़ा।
कई नायकों ने भारत की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी और अपने जीवन का बलिदान दिया। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में वह और भी तथ्य पोस्ट करेंगे जो उन यादों को ताजा कर देंगे जो देश ने कमजोर नेताओं के कारण झेले हैं। हम कमजोर नेतृत्व के विनाशकारी प्रभाव को हमेशा याद रखेंगे और कभी नहीं भूलेंगे, जिसके कारण हमारे बहादुरों को बलिदान देना पड़ा और इसके परिणामस्वरूप भारत की लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भूमि भी छीन ली गई।