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राजीव गांधी हत्याकांड : दोषी नलिनी ने समय पूर्व रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में संलिप्तता के कारण आजीवन कारावास की सजा भुगत रही नलिनी श्रीहरन ने समय से पहले अपनी रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में संलिप्तता के कारण आजीवन कारावास की सजा भुगत रही नलिनी श्रीहरन ने समय से पहले अपनी रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
नलिनी ने मद्रास उच्च न्यायालय के 17 जून के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी और रविचंद्रन की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य के राज्यपाल की सहमति के बिना उनकी रिहाई का आदेश देने का अनुरोध किया गया था।
अदालत ने याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था, ‘‘उच्च न्यायालयों के पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत वह शक्ति नहीं है, जैसी उच्चतम न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली हुई है।’’
संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में 30 साल से ज्यादा जेल की सजा काट चुके ए जी पेरारिवलन को रिहा करने का 18 मई को आदेश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि मामले के सभी सातों दोषियों की समयपूर्व रिहाई की अनुशंसा संबंधी तमिलनाडु राज्य मंत्रिमंडल की सलाह राज्यपाल के लिये बाध्यकारी थी।
संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय के अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने और उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामलों में पूर्ण न्याय करने के लिए आदेश पारित करने की शक्ति से संबंधित है।
तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदुर में 21 मई, 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था, जिसमें राजीव गांधी मारे गए थे। हमलावर महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी।
न्यालय ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी। शीर्ष अदालत ने 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। नलिनी की सजा को 2001 में उम्रकैद में तब्दील किया गया था।

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