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हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की रही है पुरानी परंपरा : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदी हो या पंजाबी, या फिर गुजराती, लगभग सभी भाषाओं में ऐसे लेखन हुए हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राष्ट्रीय स्तर के मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन किया। इस फेस्टिवल में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल समेत विभिन्न राज्यों के सेवारत व पूर्व जवान और अफसरों समेत रक्षा विशेषज्ञने हिस्सा लिया। फेस्टिवल में रक्षा मंत्री ने कहा कि मिलिट्री लिटरेचर को आमजन से जोड़ने के पीछे, खुद मेरी गहरी रुचि रही है।
उन्होंने कहा, मेरी बड़ी इच्छा है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां, हमारे देश के इतिहास, खासकर सीमाई इतिहास को जानें और समझें। इसलिए रक्षा मंत्री का पद ग्रहण करने के साथ ही, मैंने बकायदा एक कमेटी गठित की। यह हमारे सीमाई इतिहास, उससे जुड़े युद्ध, शूरवीरों के बलिदान और उनके समर्पण को सरल और सहज तरीके से लोगों के सामने लाने की दिशा में काम कर रही है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, हमारे देश में राष्ट्रीयता की भावना से साहित्य लिखे जाने की पुरानी परंपरा रही है। हिंदी हो या पंजाबी, या फिर गुजराती, लगभग सभी भाषाओं में ऐसे लेखन हुए हैं, जिन्होंने अपने समय में लोगों के अंदर स्वदेश प्रेम की भावना को जागृत और विकसित किया। 
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, प्राचीन काल में ‘चाणक्य’ जैसे विद्वान रहे हैं, जिन्होंने Warfare के बारे में लिखा है, जो कई दृष्टियों से आज भी प्रासंगिक हैं। वहीँ आधुनिक भारत में देखें, तो ‘महात्मा गांधी’, ‘सुभाष चंद्र बोस’, ‘सरदार भगत सिंह’ और ‘लाला लाजपत राय’ से लेकर ‘प्रेमचंद’, ‘जयशंकर प्रसाद’ और ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ ने राष्ट्रीयता की जो अलख अपनी लेखनी से लगाई, वह आज भी पाठकों के ह्रदय को राष्ट्रप्रेम के प्रकाश से भर देती है।
उन्होंने कहा, एक और दृष्टिकोण से यह आयोजन मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगता है। जैसे समय बदल रहा है, खतरों और युद्धों के चरित्र में भी बदलाव आ रहा है।भविष्य में और भी सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हमारे सामने आ सकते हैं। धीरे-धीरे संघर्ष इतना व्यापक होता जा रहा है, जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की गई थी।

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