दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे को लेकर विपक्षी नेताओं ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया, जिस कारण उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। बता दें कि सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर होली के बाद चर्चा कराने की पेशकश को अस्वीकार करते हुए विपक्षी दलों के सदस्यों ने बुधवार को राज्यसभा में हंगामा किया।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद घोषणा की कि उन्हें 267 के तहत कुछ नोटिस मिले हैं जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया है। लेकिन मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली में हिंसा विषय पर सदन में चर्चा होगी।
उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ मिलेंगे और तय करेंगे कि किस नियम के तहत इस मुद्दे पर चर्चा हो। उन्होंने होली के बाद इस पर चर्चा कराने की बात की। इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। तृणमूल के कुछ सदस्य आसन के पास भी आ गए।
नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने और सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा होगी लेकिन उसके लिए यह तय करना होगा कि किस नियम और प्रक्रिया के तहत यह चर्चा हो। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा। उन्होंने कहा कि शून्यकाल के तहत कुल 16 मुद्दे स्वीकार किए गए हैं जिनमें कोरोना वायरस जैसे अहम मुद्दे भी हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ सदस्य नहीं चाहते कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। वे यह तय कर के आए हैं कि चर्चा नहीं होने देनी है। उन्होंने कहा कि परीक्षाएं चल रही हैं और छात्रों के मन में तनाव है। लेकिन यहां सदस्यों को हंगामा जारी है। इसके बाद उन्होंने 11 बजकर करीब 10 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सदन ने अपने पूर्व सदस्य भद्रेश्वर बरगोंहाइ को श्रद्धांजलि दी। उनका पिछले दिनों निधन हो गया था। उन्होंने अप्रैल 1990 से अप्रैल 1996 तक उच्च सदन में असम का प्रतिनिधित्व किया था। नायडू ने केरल के निर्दलीय सदस्य एमपी वीरेंद्र कुमार के एक पत्र मिलने का भी उल्लेख किया जिसमें कुमार ने बीमारी के कारण दो मार्च से 20 मार्च तक सदन की कार्यवाही में भाग लेने में असमर्थता जतायी है।
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार को शुरू हुआ है और बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी उच्च सदन में गतिरोध कायम रहा। विपक्ष दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग कर रहा है। हंगामे की वजह से शून्यकाल और प्रश्नकाल भी बाधित हैं।