विशेष सत्र के दौरान ने संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पर दोनों सदनों में चर्चा हुई जिस पर पक्ष – विपक्ष ने एक दूसरे को इस विषय पर घेरा। चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और राजयसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बीच शब्द बाण युद्ध चला।
कमजोर महिलाओं को नामांकित करने की आदत
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राजनीतिक दलों ने "कमजोर महिलाओं" को उम्मीदवारों के रूप में चुना है और "उन लोगों को नहीं चुनेंगे जो शिक्षित हैं और लड़ सकते हैं। मोटे तौर पर, पिछड़ी और अनुसूचित जाति की महिलाएं उतनी साक्षर नहीं हैं। उनकी साक्षरता दर कम है, जिसके कारण सभी राजनीतिक दलों को कमजोर महिलाओं को नामांकित करने की आदत है। कांग्रेस नेता ने कहा, "वे (पार्टियां) उन लोगों को नहीं चुनेंगी जो शिक्षित हैं और लड़ सकते हैं।" खड़गे ने कहा, "मुझे पता है कि राजनीतिक दल पिछड़ों और अनुसूचित जाति के लोगों को कैसे चुनते हैं। खड़गे उच्च सदन में बोल रहे थे जब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज नए संसद परिसर में लोकसभा की पहली बैठक के दौरान नया महिला आरक्षण विधेयक पेश किया।
भाजपा ने खड़गे के बयान पर जताई आपत्ति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी पार्टी, भाजपा की ओर से यह कहते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया कि खड़गे का "व्यापक बयान" "बिल्कुल अस्वीकार्य" था। हम विपक्ष के नेता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह व्यापक बयान देना कि सभी पार्टियाँ उन महिलाओं को चुनती हैं जो प्रभावी नहीं हैं, बिल्कुल अस्वीकार्य है। हम सभी को हमारी पार्टी, हमारे प्रधान मंत्री द्वारा सशक्त बनाया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी एक सशक्त महिला हैं।
सभी दलों का व्यापक सामान्यीकरण करने पर आपत्ति
उन्होंने कहा कि खड़गे की टिप्पणी विपक्षी दल की मानसिकता को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि "महिला अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद उनके पास ऐसी महिलाएं नहीं हैं जो सशक्त हों। मुझे उनके सभी दलों का व्यापक सामान्यीकरण करने पर आपत्ति है। सीतारमण को जवाब देते हुए खड़गे ने कहा, "पिछड़े, एसटी की महिलाओं को ऐसे मौके नहीं मिलते जो उन्हें मिल रहे हैं, यही हम कह रहे है।