राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त किए जाने के फैसले पर कांग्रेस ने सवाल खड़े करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सारे नियमों को ताक पर रखकर यह नियुक्ति की गई है।
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह सवाल भी किया कि क्या अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर में कोई एक अधिकारी ऐसा नहीं था जिसे दिल्ली के पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी जाती? उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राकेश अस्थाना इस नियुक्ति के चार दिन बाद ही सेवानिवृत्ति होने वाले थे।
प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी अधिकारी के सेवानिवृत्ति होने में छह महीने बचे हों तब उसे डीजीपी स्तर की नियुक्ति दे सकते हैं। दिल्ली पुलिस आयुक्त भी डीजीपी के स्तर का पद होता है।’’ उन्होंने दावा किया कि अस्थाना के खिलाफ छह आपराधिक मामले दर्ज हैं।
खेड़ा ने आरोप लगाया, ‘‘इस सरकार को न यूपीएससी का सम्मान है और न ही सुप्रीम कोर्ट का सम्मान है। नियमों को ताक पर रखकर यह नियुक्ति की गई है।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘ऐसे क्या राज हैं कि आप नियम-कानून ताक पर रखकर उन्हें दिल्ली पुलिस का प्रमुख बना रहे हैं? ऐसे अधिकारी को दिल्ली का पुलिस आयुक्त क्यों बनाया गया, जिसे शहरी क्षेत्र और खास महानगर में पुलिस सेवा का अनुभव नहीं है?’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया, ‘‘मोदी जी कुछ अफसरों से डरते हैं और उन्हीं को महत्वपूर्ण स्थानों पर बैठा देते हैं।’’
गौरतलब है कि अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है। उनका कार्यकाल एक साल का होगा। 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक रह चुके हैं।