भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वह कोई चुनाव नहीं लड़ने जा रहे हैं और उन्होंने राजनीतिक दलों से अपने पोस्टरों में उनके नाम या फोटो का इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह किया। टिकैत के दिल्ली से लौटने पर मेरठ में किसानों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। टिकैत ने कहा, "मैं कोई चुनाव नहीं लड़ने जा रहा हूं और किसी भी राजनीतिक दल को अपने पोस्टर में मेरे नाम या फोटो का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।"
राकेश टिकैत ने कहा, मेरा किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है। टिकैत बुधवार देर रात गांव सिसौली में किसानों को संबोधित कर रहे थे, जब वह 383 दिनों के धरने के बाद घर लौटे। उन्होंने कहा, "हमारा संघर्ष सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। मैं अंतिम सांस तक किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहूंगा।"
26 जनवरी को टिकैत बन गए थे आंदोलन का चेहरा
28 नवंबर 2020 से ही गाजीपुर बॉर्डर पर डटे रहे राकेश टिकैत इस साल 26 जनवरी को आंदोलन का चेहरा बन गए थे। इसी बीच राकेश टिकैत का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह भावुक हो गए और रोते दिखे। इसके बाद आंदोलन की पूरी तस्वीर ही बदल गई और रातोंरात पश्चिमी यूपी, हरियाणा और पंजाब के किसानों के बड़े जत्थे दिल्ली की सीमाओं की ओर रवाना हुए। इससे आंदोलन एक बार फिर से मजबूत हो गया और 3 नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब जाकर समाप्त हुआ है।
वापस लौट रहे किसानों के काफिले
9 दिसंबर को संयुक्ता किसान मोर्चा (एसकेएम) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक समिति बनाने के वादे के साथ, केंद्र सरकार से एक पत्र प्राप्त किया। जिसके बाद किसानों ने अपने साल भर के आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की। अब राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर ठीक वैसा ही माहौल है जैसा किसानों के आने के समय था। हर तरफ किसान ट्रैक्टर और ट्रकों के बड़े काफिले अपने-अपने राज्यों की ओर जा रहे हैं, ठीक उसी तरह जब वे एक साल पहले केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए पहुंचे थे।
19 नवंबर को PM मोदी ने की थी कानून निरस्त करने की घोषणा
बता दें कि किसान 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे। एसकेएम ने अपने बयान में कहा था, 'अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं।' किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। हालांकि, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को कृषि कानून निरसन विधेयक पारित किया। 19 नवंबर को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में आवश्यक विधेयक लाएगा।