रायपुर : छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ते की नीलामी में चुनावी साल में धांधली को लेकर विपक्ष के आरोपों को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दावे किए कि तेंदूपत्ता का खुला आक्शन होता रहा है। वहीं प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता के दावे के साथ कहा कि यह राशि सीधे संग्राहकों के पास जाती है।
विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि यह प्रेस कांफ्रेंस वाली पार्टी बनकर रह गई है। वहीं अनर्गल और निराधार आरोप लगाना ही विपक्ष की नियति बन गई है। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के मुखिया ने हर चुनावी साल में तेंदूपत्ते की नीलामी में धांधली करने के आरोप लगाकर खलबली मचाई थी। वहीं चुनावी वर्ष के बाद अचानक संग्रहण में और बिडर्स की संख्या में कमी आने के आंकड़े जारी कर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
विपक्ष ने इस मामले में सरकारी आंकड़ों को ही आधार माना है। सरकार की ओर से कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को ही स्वीकारोक्ति मानते हुए पीसीसी ने सीधे सरकार और मुख्यमंत्री रमन सिंह की तेंदूपत्ता व्यापारियों से सांठगांठ के आरोप जड़े हैं। मुख्यमंत्री के अलावा राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने भी दावा किया कि तेंदूपत्ता नीलामी प्रक्रिया का कोई आम नागरिक भी अवलोकन कर सकता है।
अग्रिम नीलामी में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होने के दावे करते हुए संघ ने कहा कि सीमावर्ती राज्यों मप्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी छत्तीसगढ़ से कम दरें आई है। जबकि राज्य में अधिक दरों के साथ संग्राहकों को बड़ी राशि मिल रही है।
बहरहाल, प्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस ने बड़े आरोपों के साथ सरकार की घेरेबंदी में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। वहीं वर्ष 2007 से लेकर 2018 तक के आंकड़ों को ही संदेहास्पद करार दिया है। इस मामले में सियासत गरमाने के बाद अब आदिवासी बेल्ट में रिझाने की कवायदों ने भी जोर पकड़ा हुआ है।
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