बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम को लेकर यूपी की योगी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के नाम के साथ राम जी को भी जोड़ेगी। दरअसल, राज्यपाल राम नाईक की सिफारिश के आधार पर योगी सरकार ने सभी सरकारी अधिकारी को यह आदेश जारी किया है कि अब सभी सरकारी रिकॉर्ड और दस्तावेज में आधिकारिक तौर पर डॉ बीआर अंबेडकर के साथ उनका मिडिल नेम ‘रामजी’ का इस्तेमाल किया जाएगा।
इस फैसले का कारण है कि संविधान के पन्ने में बाबा साहब का नाम डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर के नाम से हस्ताक्षर। बाबा साहब डॉक्टर भीमराज आंबेडकर महासभा के निदेशक डॉक्टर लालजी प्रसाद निर्मल ने बताया कि इस अभियान को 2017 में राज्यपाल राम नाईक ने शुरू किया था। राम नाईक ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और महासभा को पत्र लिखकर आंबेडकर के नाम का सही उच्चारण करने और सही तरह से लिखने के लिए ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया था।
लालजी प्रसाद ने बताया कि मुख्य बात यह है कि उनके नाम का सही उच्चारण होना चाहिए, अंग्रेजी में उनके नाम की स्पेलिंग सही है, लेकिन हिंदी में उनके नाम को अंबेडकर की जगह आंबेडकर लिखा जाना चाहिेए। रामजी उनके पिता का नाम था, लिहाजा पुरानी परंपरा के अनुसार पिता का नाम बेटे के नाम के मध्य में इस्तेमाल किया जाता है। रामजी उनके पिता का नाम था, और पुरानी परंपरा के अनुसार पिता का नाम बेटे के नाम के मध्य में इस्तेमाल किया जाता है।
लिहाजा अभी भी ऐसा करना चाहिए। जिसके बाद बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव जीतेंद्र कुमार ने यह शासनादेश जारी किया है। इससे पहले आगरा स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय का नाम पहले ही बदला जा चुका है। बता दें कि बीआर अंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर है, जिन्हें बाबा साहब के नाम से भी जाना जाता है।
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