दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को मोजरबेयर बैंक धोखाधड़ी मामले में रतुल पुरी को 17 सितम्बर तक के लिए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत से कहा कि उसे पुरी की हिरासत की जरूरत नहीं है। इसके बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजय गर्ग ने पुरी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
पुरी के वकील ने अदालत को तीन आवेदन देकर आरएमएल अस्पताल द्वारा निर्धारित कुछ दवाओं की आपूर्ति, आवाजाही के लिए अलग परिवहन व्यवस्था और जेल में बिस्तर उपलब्ध कराने का आग्रह किया। वकील ने आरोपी की पीठ में तकलीफ होने की कारण बताते हुए यह आग्रह किया।
इन आवेदनों को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा, ‘जेल अधीक्षक को जेल के डॉक्टर के परामर्श से आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया जाता है। जहां तक शेष प्रार्थनाओं का संबंध है, जेल अधीक्षक जेल मैनुअल के अनुसार ही विचार करेंगे।’
ईडी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी को मोजरबेयर इंडिया (एमबीआईएल) मामले में धनशोधन से संबंधित केस केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज किया जाने के आधार पर धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया था।
ईडी के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया, ‘जांच में पता चला है कि मोजरबेयर ने राजीव सक्सेना की कंपनी पैसिफिक इंटरनेशनल एफजेडई से ब्लू रे डिस्क खरीदी थी, जिसे सिंगुलस टेक्नोलॉजीज, जर्मनी से खरीदा गया था।’
यह खरीद लगभग 33 लाख डॉलर की थी और इसकी प्रति यूनिट का मूल्य मूल राशि से दोगुना था। उन्होंने कहा, ‘जांच से पता चला है कि पुरी को इस सौदे में लाभ प्राप्त हुआ था, जो ओवर-इनवॉइसिंग के माध्यम से बैंक फंडों को डाइवर्ट करने से हासिल हुआ था।’
उन्होंने कहा कि सक्सेना ने मिडास मेटल्स इंटरनेशनल के माध्यम से मोजरबेयर ग्रुप को सौर ऊर्जा पैनलों की आपूर्ति का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने कहा, ‘उक्त कंपनियां पुरी की हैं, जो लाभ हासिल करने और रुपयों के डायवर्जन के लिए उपयोग की गईं।’
सूत्र ने बताया कि मामले में कुल 1,492.36 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ।
ईडी सूत्रों के अनुसार, पुरी 2012 तक मोजरबेयर के कार्यकारी निदेशक थे लेकिन बाद में भी मोजरबेयर में फैसले लेने वालों में और कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज में शामिल रहे।